Friday, December 14, 2012

फ़र्क

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यदि मैं आपसे मिलता हँू
आधे-अधूरे मन से
पूछता हँू हालचाल
चलते भाव से
लेता हँू आपमें या आपके कहे में
दिलचस्पी अनमने तरीके से
या कि
कुछ भिन्न स्थितियाँ हो
तो आप ही कहिए ज़नाब!
मेरी ऐसी बेज़ा हरकतों के बीच
आपको यह बताया जाना कि
राजीव रंजन प्रसाद के बैंक अकांउट में
चार या चौदह सौ रुपइया नहीं चार लाख है
क्या फ़र्क पड़ता है?

हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...