Friday, August 24, 2012

जि़न्दगी


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आकाश में
बादलों का आना
और फिर
मेघ बन बरसना

नदी में
जल का जुमना
और फिर
धार बन बहना

आओ तुम भी
जरा समीप मेरे
हम कल के लिए
मेघों से अंजुरी भर जल लेंगे
और नदियों से
अंजुरी भर धार

मुझे पता है
इस अंजुरी भर मात्रा में
जीवन का संपूर्ण द्रव्यमान होगा
पूरी गति
विश्वास करो मेरा
मैंने पढ़ा है
‘जल ही जीवन है’
और जीवन से इतर
हमें चाहिए भी तो नहीं कुछ!

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

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