....
डाॅ. राजीव रंजन
प्रसाद
मिट्टी का तन देश नहीं है
यूँ बात-बात
पे
मिटता
नहीं
है,
तुम
रोओ
या
हँसो
की
तेरे
सिर्फ
रो-हँस लेने से
देश
कभी
बनता
नहीं
है
देश कभी मरता
नहीं
है
मिट्टी
का
तन
देश
नहीं
है
यूँ बात-बात
पे
मिटता
नहीं
है।
तुम
जागो
या
सोओ
की
तेरे
सिर्फ
जग-सो लेने से
देश
कभी
बनता
नहीं
है
देश कभी मरता
नहीं
है
मिट्टी
का
तन
देश
नहीं
है
यूँ
बात-बात पे मिटता
नहीं
है।
तुम
चाहो
या
न
चाहो
की
तेरे
सिर्फ
चाह
न
चाह
लेने
से
देश
कभी
बनता
नहीं
है
देश कभी मरता
नहीं
है
मिट्टी
का
तन
देश
नहीं
है
यूँ बात-बात
पे
मिटता
नहीं
है।
तुम
प्रेमी
हो
या
द्रोही
फिर
तेरे
सिर्फ
प्रेमी-द्रोही हो लेने
से
देश
कभी
बनता
नहीं है
देश कभी मरता
नहीं
है
मिट्टी
का
तन
देश
नहीं
है
यूँ
बात-बात पे मिटता
नहीं
है।
एक
जन
के
एक
जन्म
से
देश
कभी
बनता
नहीं
है
देश
कभी
संवरता
नहीं
है
एक
व्यक्ति के
एक
मरण
से
देश
कभी
मरता
नहीं
है
देश
कभी
झुकता
नहीं
है।
मिट्टी का तन
देश
नहीं
है
यूँ
बात-बात पे मिटता
नहीं
है।
-------------------
No comments:
Post a Comment