Thursday, March 22, 2018

इल्तज़ा


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(अपने शादी की पन्द्रवी सालगिरह पूरे होने पर)




बस इतना करना, प्रिय
जब रोने का जी करे
जरूर रोना
पर अकेले नहीं
मेरे साथ बिना मरूव्वत के
हाथ थामे हुए
और कंधे को मिलाए हुए।

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...