Monday, July 6, 2015

बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय...जरा तो शर्म करते!!!



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यह ओरहन नहीं है, मुख़ालफ़त है। मैं यह लड़ाई जारी रखूं, तो शायद लोग सोचेंगे कि क्या फर्क पड़ेगा इससे? लेकिन मुझ पर फर्क पड़ेगा कि मैं एक सच्चे, स्वाभिमानी और आत्मविश्वासी आवेदक/शिकायतकर्ता के रूप में अपनी अस्मिता और पहचान बचा ले जाउंगा। यही मेरे लिए अमूल्य धरोहर है, पूंजी है। 
सादर,
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फिलहाल अकादमिक भूमिका तत्काल प्रभाव से मौन में तब्दील!!!
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Rajeev Ranjan rajeev5march@gmail.com

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to vcrecruitmentregistrar
प्रतिष्ठा में,

प्रो. देबदास बनर्जी
(मैसाच्यूट्स इंस्टिट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी से पोस्ट-डाॅक्टरेट फेलो के रूप में सम्बद्ध)
कुलपति
बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय

विषय: सहायक प्राध्यापक के नियुक्ति के सम्बद्ध में लोक शिकायतकर्ता राजीव रंजन प्रसाद को बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त आपके पत्रांक संख्या CUB/PG/11/2015 के सन्दर्भ में।

मान्यवर,

1. मुझे प्रसन्नता है कि शिकायतकर्ता राजीव रंजन प्रसाद द्वारा उपर्युक्त विषय के सन्दर्भ में राष्ट्रपति कार्यालय को प्रेषित लोक शिकायत आवेदन पत्र (Reg. No. PRSEC/E/2015/01128 dated 06 Feb 15) को बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने अपने संज्ञान लिया है। 

2. इस सन्दर्भ में विश्वविद्यालय ने विधिवत जांच-समीक्षा एवं अवलोकन-विश्लेषण के पश्चात इसलोक शिकायत के निपटारा सम्बन्धित पत्र(CUB/PG/11/2015) शिकायतकर्ता राजीव रंजन प्रसाद को प्रेषित करने का महती कार्य किया है; यह पत्र शिकायतकर्ता को दिनांक 30 जून 2015 को प्राप्त हुए हैं। 

3. पत्र में सम्प्रेष्य तथ्यों/सूचनाओं से स्पष्ट है कि आपके पास तत्सम्बन्धी सभी अभिलेख मौजूद हैं और उसके जांचकर्ता के रूप में सर्वथा योग्य एवं सक्षम अधिकारी भी।

4. मुझे आश्चर्य है कि फिर इतनी बड़ी भूल को आपसबों ने कैसे होने दिया अथवा इस सम्बन्ध में किसी तियर्क-जांच(Cross Test) की आवश्यकता नहीं महसूस की।

5. यह आधुनिक रूप से सम्पन्न एवं समृद्ध बनते बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के गरिमा के अनुरूप नहीं है। विश्वविद्यालय के इस अकादमिक कार्य-संस्कृति एवं शैक्षणिक-क्रियाकलाप से मैं दुःखी हूं और आक्रोशित भी।

6. इस सम्बन्ध में मैं आपको अतिरिक्त कुठ और नहीं कहना चाहता क्योंकि वह सिर्फ शब्दों की फिजूलखर्ची होगी; इस शिकायत के निपटारे में मददगार कतई नहीं।

7. बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त पत्र के ग़लत सूचनाओं के विरूद्ध शिकायतकर्ता अपनी सीधी आपत्ति दर्ज करता है। शिकायतकर्ता राजीव रंजन प्रसाद का निम्नांकित पक्ष संलग्न एवं द्रष्टव्य हैः

क) बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय को शिकायतकर्ता/आवेदनकर्ता द्वारा पंजाब नेशनल बैंक द्वारा भेजे गए चालान की आवेदक-काॅपी।(स्कैन)

ख) बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय को शिकायतकर्ता/आवेदककर्ता द्वारा भारतीय डाक के अन्तर्गत स्पीड पोस्ट से भेजे गए आवेदन पत्र एवं रेफरी रिपोर्ट की रसीद-काॅपी।(स्कैन) 

ग) बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा अपने वेबसाइट पर जारी किए गए सची का पीडीएफ जिसमें शिकायतकर्ता राजीव रंजन प्रसाद का नाम पृष्ठ संख्या  8 के क्रमांक संख्या 35 के तहत आवेदन-पत्र संख्या CMS/AT.P./35 के रूप में स्पष्टतया दर्ज है।(पीडीएफ फाइल संलग्न)

8.  शिकायतकर्ता अपना पक्ष आप तक प्रस्तुत करते हुए सुसंगत न्याय एवं त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहा है। यह न कोई अभ्यर्थना है और न ही अनाधिकार चेष्टा; बल्कि अकादमिक विसंगतियों के खिलाफ़ यह एक सहज-स्वाभाविक सत्याग्रह है जिसमें मैं अपने स्वाभिमान एवं चरित्रबल को पहुूंचे ठेस का आत्म-परिहार चाहता हूं।

सादर,

शिकायतकर्ता/आवेदनकर्ता
राजीव रंजन प्रसाद
प्रयोजनमूलक हिन्दी
वरिष्ठ शोध अध्येता(जनसंचार एवं पत्रकारिता)
हिन्दी विभाग
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
वाराणसी-221 005
बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा आवेदक/शिकायतकर्ता राजीव रंजन प्रसाद को भेजा गया पत्र

आवेदक/शिकायतकर्ता राजीव रंजन प्रसाद द्वारा बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय को भेजा गया पंजाब नेशनल बैंक का चालान

डाक से भेजे गए आवेदन और एक रेफरी द्वारा भेजे गए कंफिडेंसियल रिपोर्ट की रसीद
साक्षात्कार में न बुलाए जाने की स्थिति में आवेदक/शिकायतकर्ता राजीव रंजन प्रसाद द्वारा सीधे बिहार केन्द्रीय विश्वविद्याालय के माननीय कुलपति के सामने 7 जुलाई, 2012 को रखा गया पक्ष जबकि साक्षात्कार दो दिन बाद प्रस्तावित थे
बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए गए सीएमसी के सहायक प्राध्यापक पद हेतु प्राप्त सभी आवेदनों की सूची में आवेदक/शिकायतकर्ता राजीव रंजन प्रसाद का नाम पृष्ठ संख्य आठ पर क्रमांक 35 पर आवेदन संख्या CMS/AT.P./35 के साथ दर्ज है
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इतनी कारस्तानियों को झेलते हुए कौन शोध करेगा और कौन चाहेगा कि चुपचाप अपना काम करें!...कि दुनिया ऐसे ही चलती है!!!

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--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...