Wednesday, November 23, 2016

मेरी वाणी / देम्यान बेदनी

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मैं गाता हूँ
किन्तु क्या मैं वास्तव में गाता हूँ

मेरी वाणी ने पहचानी
संघर्षों की दुर्दमताएँ
प्रत्येक पृष्ठ पर सीधी-सादी
हैं मेरी कविताएँ

चकाचौंध में मौन
मगन जो आनन्दों में
ऎसे चिकने-चुपड़े श्रोताओं के सम्मुख
वीणाओं की मीठी स्वर लहरी के नीचे
नहीं उठाता मैं अपनी कर्कश आवाज़ें
झिलमिल करते किसी मंच पर

मैं अपनी भर्रायी आवाज़ें वहाँ उठाता
जहाँ रोष ने
छल-छन्दों ने
अपना घेरा डाला
शापित भूतकाल ने अपने स्वर का
बे-हिसाब अनुचित उपयोग किया है

मैं नहीं मुलम्मा
कविता के प्रेरक तत्त्वों का
मेरी तीखी पैनी कविता
गढ़ी गई है श्रम के द्वारा

मेहनतकश लोगो
बस तुम मेरे हो
मेरी नाराज़ी का कारण
केवल तुम्हीं समझते हो
मैं सत्य मानता
वह निर्णय जो तुम देते हो

मेरी कविता कभी अवज्ञा
करती नहीं तुम्हारे मन के
भावों की
आशाओं की
मैं निष्ठा से सुनता रहता
हर धड़कन तेरे दिल की

अंग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

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