Thursday, April 14, 2016

विचार को प्रभावहीन करना हो, तो विचारक की स्मारक बना दें हमसब

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राजीव रंजन प्रसाद 


आम-आदमी या जनसाधारण के समुचित विकास और उत्थान-उन्नयन हेतु डाॅ. अम्बेडकर ने अपना सर्वस्व होम कर दिया। वह जाति-वर्ग की विदाई के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। वह किसी व्यक्तिविशेष के खिलाफ़ नहीं लड़े, बल्कि हमेशा वे उस वर्ग/जाति का खात्मा करने के लिए सीधी लड़ाई लड़े जो आवश्यकता से अधिक धनी है। दौलत जिसके पास इफ़रात है और उसमें और इज़ाफा के लिए गरीबी के हिस्सों को लूट रहा है। वह उस जाति-वर्ग का सर्वनाश चाहते थे जो बिजली रहने पर इलेक्ट्रिक पंखा नहीं, एयरकंडिश्नर चलाने का ढोंग करता था। जनता का प्रतिनिधि होकर जो लाखों रुपए यात्रा, दावत और आवास पर खर्च करता था। वह उस वर्ग और जाति को मटियामेट करना चाहते थे जो शोषित-वंचित के श्रम की वाजि़ब कीमत न देकर नरेगा-मनरेगा जैसी मजदूरी करने को उकसाता था और आजीवन इसी में नधाए रहने का खड़यंत्र करता था।

डाॅ. अम्बेडकर न देवता थे, न मसिहा, न वह पूजने योग्य थे और न ही आरती उतारने लायक। वह प्रतिरोध, संघर्ष और विरोध के सजीव प्रतीक थे। वे समाज के वास्तविक उन्नायक थे जो ज़मीनी लड़ाई लड़ने का मात्र दंभ नहीं भरते थे, बल्कि स्वयं वैसी जिन्दगी जीना पसंद करते थे। डाॅ. अम्बेडकर बिना किसी हिंसा और खून-खराबे के जातिगत-वर्गगत खाई को, विषमता को, दरिद्रता को, अन्याय को, दासता को हमेशा-हमेशा के लिए भारतीय जनसमाज से निकाल-बाहर कर देना चाहते थें। वे गूंगे की आवाज थे, अंधे की लाठी थे, वे बेघरों की झोपड़ी थे, वे भूखे के लिए अन्न थे। डाॅ. अम्बेडकर पर आज बौद्धिक विमर्श नहीं बौद्धिक व्यवहार की जरूरत है। डाॅ. अम्बेडकर लगातार चेताते रहे कि खाया-पिया-अघाया वर्ग सुमधुर बोल सकता है, सुघड़ भाषण दे सकता है, अच्छे तरीके से आपको अपने प्रति आकर्षित कर सकता है। लेकिन सावधान रहे कि जिसे मुफ़्त में खाने और पाने की लत होती है...वह कर्म करने, शिक्षित होने, जागरूक होने की बात कतई नहीं करता है; वह बस दावत उड़ाने के बारे में बताता है। मौज-मस्ती से रातें गुजारने के बारे में कहता है। अत्याचारी वर्ग हमेशा मुस्कुराते हुए सामने आता है क्योंकि उसे अपने छुपे मंशा को सिद्ध करना होता है। भारतीय राजनीति की खाल ओढ़े अधिसंख्य नेता आजकल ऐसे ही हैं। अतः बचें, सजग रहें। सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।  


डाॅ. अम्बेडकर पर राजीव रंजन प्रसाद द्वारा लिखित इस आलेख को इस बार ब्लाॅग पर अपडेट अधिक लम्बा होने के कारण नहीं दिया जा रहा है। मेरे कुछ मित्रों ने लम्बे आलेख ब्लाॅग पर पढ़ पाने में अपनी असुविधा को मुझसे साझा किया था।

अतः प्रकाशन तक प्रतीक्षा करें!
सधन्यवाद
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