Saturday, October 23, 2010

संचार: शक्ति और अभिसरण


यह निर्विवाद सत्य है कि आधुनिक परिप्रेक्ष्य में तकनीक और प्रौद्योगिकी आधारित संचार की जरूरत प्राथमिक है। विश्व की हर स्थापित सत्ता संचार-शक्ति से परिचित है। मार्शल मैकुलुहान ने अपनी पुस्तक ‘अंडरस्टेण्डिंग मीडियाः दि एक्सटेंशन ऑफ मैन’ में माध्यम की महत्ता का जिक्र ‘माध्यम ही संदेश है’ के रूप में किया है, तो फ्रेन्क डांस ने अपने वर्तुल प्रारूप में संचार माध्यम को व्यक्तित्व संचार और ज्ञान-सृजन का पर्याय माना है। संचार का केन्द्रीय तत्व सूचना है, जो शक्ति का अक्षय स्रोत है। मीडिया विशेषज्ञ जे. एस. यादव के शब्दों में-‘‘सूचना ही शक्ति है। किसी समाज में सूचना का प्रयोग अपने हित के लिए करने की कला और विज्ञान ही प्रभाव और शक्ति का मुख्य स्रोत है। मानव इतिहास तो नए और अधिक से अधिक सह-ज्ञात प्रतीकों के सृजन की क्षमता का उत्तरोत्तर विकास का इतिहास है।’’
सूचनाओं का अकूत भंडार, संचार-शास्त्री एल्विन टॉफ्लर के शब्दों में ‘थर्ड वेब’ अर्थात ‘तीसरी लहर’ का जामा पहन चुका है। सूचना-संसाधन में मानवीय क्रियाशीलता के बढ़ते रूझान तथा सक्रिय भागीदारी की वजह से पूरा विश्व ‘सूचना राजमार्ग’ में तब्दील हो गया है। कल तक यह कहां संभव था कि आप दूरदराज के गांवों से टेलीकान्फ्रेंसिंग के जरिए संपर्क साध सकें? ब्रह्माण्ड में बिखरे सूचना-तरंगों को पकड़ अपेक्षित जानकारी हासिल कर सकें या फिर ‘सोशल नेटवर्किंग’ या ‘ब्लॉग’ की अविश्वसनीय ताकत का थाह ले सकें। भूमंडलीकरण का नामकरण इसी पहुँच की देन है, जहां दूरी की निकटता या अधिकता का प्रश्न ही ख़त्म हो गया है।
भारतीय ‘न्यू मीडिया’ के स्थापित संचार-विशेषज्ञ बालेन्दु दाधीच के शब्दों में कहें, तो-‘‘संचार के नए माध्यम सीमाओं के विरूद्ध कार्य करने वाली शक्ति के रूप में उभर चुके हैं। उसे न समय की सीमा प्रभावित करती है और न भौगोलिक सीमा। पारंपरिक रूप से मीडिया या मास-मीडिया शब्दों का इस्तेमाल किसी एक माध्यम पर आश्रित मीडिया के लिए किया जाता है, जैसे कि कागज पर मुद्रित विषयवस्तु का प्रतिनिधित्व करने वाला प्रिंट मीडिया, टेलीविजन या रेडियो जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से दर्शक या श्रोता तक पहुंचने वाला इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। न्यू मीडिया इस सीमा से काफी हद तक मुक्त तो है ही, पारंपरिक मीडिया की तुलना में अधिक व्यापक भी है।’’

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