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बहुत दिन हुए
चिड़िया-चुरुगुन पर गीत लिखें
उन्हें गुनगुनाएँ
बहुत दिन हुए
खेत-खलिहान के बारे में सोचे
उसकी खोज-ख़बर लिए
बहुत दिन हुए
रात अंधियारे में
गाँव को याद किए
बहुत दिन हुए
पड़ोसियों के पास गए
उनका हाल-चाल लिए
बहुत दिन हुए
तार पर उकड़ू बने
कौए का पाँख देखे
बहुत दिन हुए
आरती में पैसे डाले
रामलीला में पाठ किए
बहुत दिन हुए
पुलिया पर बैठे
जमात में गपियाए
बहुत दिन हुए
जी भर रोए
आँखों की सुध लिए
बहुत दिन हुए
पापा के पैर छुए
मम्मी को अंकवारी लिए
बहुत दिन हुए
जिंदगी जिए
हीक भर बतियाए
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चिड़िया-चुरुगुन पर गीत लिखें
उन्हें गुनगुनाएँ
बहुत दिन हुए
खेत-खलिहान के बारे में सोचे
उसकी खोज-ख़बर लिए
बहुत दिन हुए
रात अंधियारे में
गाँव को याद किए
बहुत दिन हुए
पड़ोसियों के पास गए
उनका हाल-चाल लिए
बहुत दिन हुए
तार पर उकड़ू बने
कौए का पाँख देखे
बहुत दिन हुए
आरती में पैसे डाले
रामलीला में पाठ किए
बहुत दिन हुए
पुलिया पर बैठे
जमात में गपियाए
बहुत दिन हुए
जी भर रोए
आँखों की सुध लिए
बहुत दिन हुए
पापा के पैर छुए
मम्मी को अंकवारी लिए
बहुत दिन हुए
जिंदगी जिए
हीक भर बतियाए
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