धमाका हुआ तो ये सो नहीं रहे थे. डयूटी पर तैनात थे. बीड़ी-हुक्का भी नहीं पी रहे थे. ठण्ड में चाय की तलब भी इन्हें नहीं सता रही थी. फिर ये क्या कर रहे थे? काशीवासी यह सवाल इनसे पूछ रहे हैं. जवाब तो ये देंगे ही देंगे, पर आज ये क्या करिश्मा करते दिख रहे हैं? उस पर एक चलती नज़र...,
1 comment:
अरे भाई इन धमाकों ने तो हमारा जीना हराम कर दिया है ...बार - बार धमाके ..और बार -बार जानी नुक्सान ...क्या कहें ...आप आगे बढ़ें ...शुभकामनायें
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