Saturday, February 23, 2013

हिम्मत


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यदि किसी दिन
आसमान टंगा मिले
छत की तरह
तुम्हें अपने ही घर में

तो राजीव!
तुममें इतनी हिम्मत होनी चाहिए
कि कहो आसमान से
जाओ अपनी जगह जाओ
और मेरे बच्चों को
आँगन में खेलने दो

वे मेरे प्यासे होने पर
दो अँजुरी जल काढ़ लेंगे
तुममें से ही

यार! उसके लिए तुम्हें मेरे पाॅकेट में समाने की जरूरत नहीं है।

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...