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यदि किसी दिन
आसमान टंगा मिले
छत की तरह
तुम्हें अपने ही घर में
तो राजीव!
तुममें इतनी हिम्मत होनी चाहिए
कि कहो आसमान से
जाओ अपनी जगह जाओ
और मेरे बच्चों को
आँगन में खेलने दो
वे मेरे प्यासे होने पर
दो अँजुरी जल काढ़ लेंगे
तुममें से ही
यार! उसके लिए तुम्हें मेरे पाॅकेट में समाने की जरूरत नहीं है।
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