Tuesday, April 23, 2013

हस्तिनापुर


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लाओ थाल
पूजन की सामग्री
रोरी, कपूर, घी और रुई

रगड़ो चन्दन
सिलौट पर कुछ देर
और लेप दो माथे पर

जलाओ कपूर
उस जलती जवाला में
करो मेरा आरती

रूको! आर्यपुत्री
मुझ लेने दो संकल्प
करने दो स्तुति

आहुति से पूर्व
तर्पण का गीत गाने दो
श्वास को चलने दो अविराम

हे! जगति
जरा अपनी तर्जनी से
दो ऊष्मा मेरे गालों को

ओह! कुमारनयनि
थपथपाओ पीठ
भुजाओं को फड़कने दो

हाँ प्रिये!
अब होने दो विदा
मत बाँधो अपने प्रेमपाश में

सुनो! सुप्रज्ञा
छोड़ो, मत छेड़ो
विरहिणी तान-अनुतान

देवी! लोकमंगला
चलने दो अवगाहन-क्रिया
अश्रुपात न करो सूर्यास्त पर

ओ माँ!
मैं फिर जन्म लूँगा
तुम्हारी ही कोख से

अरी! माँ, इस बार
मुझे तंदुरुस्त पैदा करना
शारीरिक रुग्णता खतरनाक है

उससे भी खतरनाक है
लोगों का यह समझना कि
मैं हस्तिनापुर के लिए अयोग्य हँू

जबकि जो योग्य हैं
बन गए हैं धृतराष्ट
हस्तिनापुर में अंधो का साम्राज्य है।

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...