Sunday, June 19, 2016

पृथ्वी ढलान पर है, संझावत का दीया जला दे रे, मीत!



मीत, माटी से प्रेम अधपका नहीं है रे,
अधखिला नहीं है पुष्पों की झुंड में गीत गाना
मीत, जंगल से प्रेम जंगली होना नहीं है रे......!

खेत से पानी ओरा जाना
हीक भर न भर पाना पशुओं का पेट
गर्लफ्रंड का घुमने खातिर खखनने से
मीत, बहुत ज्यादा खतरनाक है रे.....!

यात्रा पर निकले पंक्षियों का बिला जाना
जाकर अपने देश को न लौट पाना
दीवाल पर जमे काई के न उतरने से
मीत, बहुत ज्यादा खतरनाक है रे.....!

बच्चों की पीपीहरी में शामिल
हवा का अचानक गुम हो जाना
डिस्कोथिक में आवाज़ के परपराने से
मीत, बहुत ज्यादा खतरनाक है रे.....!

अँधीली बयार का जोर-दाब से बहना
और नदी के देह का पीला हो जाना
गर्भवती स्त्री का खून कमती होने से
मीत, बहुत ज्यादा खतरनाक है रे.....!

शब्द में लिखना आसान होकर भी
अपनी भाषा के मिठास को गँवा देना
नई दुल्हन का मेकअप ख़राब होन से
मीत, बहुत ज्यादा खतरनाक है रे.....!

 पृथ्वी ढलान पर है, संझावत का दीया जला दे रे, मीत!

No comments:

हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...