Sunday, June 26, 2016

मेरे आत्मविस्तारक ने कहा, काम की जुनून में खपो, तो दुनिया की मत सोचो; तुम्हारी हर बदमाशियाँ काम दिखाकर औरों को चुप करा लेंगी....


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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...