Saturday, April 30, 2011

नवाचार अधारित टिकाऊ ग्रामीण विकास एवं राजनीतिक इच्छाशक्ति: संचार जागरूकता की असीम संभावनाएँ


आज भारतीय गाँव ‘ग्लोबल गाँव’ की भूमिका में है। कहना न होगा कि ग्रामीण समाज की उपस्थिति ‘सूचना राजमार्ग’ को निरंतर विस्तार दे रहा है। एक ओर दूरसंचार साधनों की धमक बढ़ी है तो दूसरी ओर आँकड़ों में नियमित वृद्धि जारी है। जून 2010 तक की स्थिति के मुताबिक ग्रामीण फोन घनत्व 26.4 है जो ग्रामीण सशक्तिकरण को दर्शाता है। मौजूदा समय देश में 98 लाख ब्राॅडबैंड कनेक्शन उपलब्ध हैं जिनमें से 6 लाख गाँवों में लगे हैं। यह संचार साधनों द्वारा फैलाये गए जन-जागरूकता सम्बन्धी अभियान का हिस्सा है जिसने ग्रामीण परिवेश को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और तकनीक के व्यावहारिक ज्ञान से परिचित कराया है। संचारगत इसी विकास को संचारशास्त्री एल्विन टाॅफ्लर ‘तीसरी लहर’ की संज्ञा देते हैं। और यही नवाचार है। नवाचार मानव-संसाधन को कुशल एवं दक्ष होने का अवसर देता है। आम-आदमी की सक्रिय सहभागिता ने ‘सकल नवाचार सूचकांक’ को पूर्णांक बनाना संभव कर दिया है। असल में नवाचार एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य मानव-संसाधन के लिए अधिकाधिक साधन और अवसर का सृजन करना है। इस संदर्भ में विकासमूलक तकनीकी विकास पद्धति के अतिरिक्त राजनीतिक प्रयास अपनाने की जरूरत सर्वाधिक है। ग्रामीण क्षेत्र, कृषि, वानिकी और छोटे कुटीर उद्योगों में ऊर्जा स्रोत कच्चे माल की तरह है जिसे नवाचारयुक्त तकनीकी साधनों से काफी हद तक आपूर्ति संभव है। मुख्यतौर पर इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है, जिस ऊर्जा-आवश्यकता की महत्ता का संसद में बखान करते हुए युवा राजनीतिज्ञ राहुल गांधी महाराष्ट्र की उस ग्रामीण स्त्री का जिक्र करते हैं जिसका नाम कलावती है। ऊर्जा की पहुँच संभव होने से ग्रामीण समाज को कई जटिल समस्याओं यथा; बाढ़, सूखा एवं कष्टसाध्य श्रम से छुटकारा मिल जाएगा। ऊर्जा अधारित तकनीक, जो टिकाऊ ग्रामीण विकास की धुरी है, नवाचार द्वारा सौ-फीसदी संभव है। गाँवों को शहरों के विकास से काटकर भारतीय भूभाग के समग्र विकास की संकल्पना हरगि़ज़ नहीं की जा सकती है। इस संदर्भ में जनमाध्यमों द्वारा सूचना, शिक्षा एवं वैज्ञानिक तकनीकी ज्ञान का अभिसरण आवश्यक है। देश में कागजी परिकल्पना और आधारहीन परियोजनाओं की परिपाटी बहुत है। बेहतर भविष्य की संकल्पना और टिकाऊ ग्रामीण विकास की दिशा में राजनीतिक इच्छाशक्ति महत्त्वपूर्ण कारक है, क्योंकि नवाचार की प्रयोजनीयता और उपादेयता असीम संभावनाओं को जमीनी अधार प्रदान कर सकने में पूर्णतः सक्षम है।

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