Friday, May 3, 2013

सिनेमा के सौ बरस


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आज मैंने पान खाकर
होंठ किया लाल है
आज मेरे चेहरे पर
लगा गुलाल है

आज मेरे जिया का
रंग शरबती है
आज मेरे शब्दों का
अर्थ पार्वती है

आज मेरे दृश्यों का
रूप मनभावन हैं
भींगे हैं वस्त्र मेरे
आँखों में सावन है

आज मेरे हिस्से में
पटकथा ज्यादा है
आज मेरे गीतों में
मचलन का इरादा है

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आज अपनी उमरिया का
हुआ सौ साल है....,
यह साल लाजवाब है
यह साल बेमिसाल है।

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...