Tuesday, July 22, 2014

ओह! वनस्थली तुम भी....?

‘जनसंचार एवं पत्रकारिता(प्रिन्ट जर्नलिज़म)' विषय के अन्तर्गत सहायक प्राध्यापक पद हेतु साक्षात्कार के लिए आए एक आवेदक का विनम्र अनुरोध सहित शिकायत-पत्र


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प्रति,

कुलपति
वनस्थली विद्यापीठ।

महोदय,

यह ई-मेल आपको इस सम्बन्ध में प्रेषित किया जा रहा है कि आज ही दिनांक
20/07/2014 को ‘आपाजी मन्दिर’ में ‘जनसंचार एवं पत्रकारिता’(प्रिन्ट
जनर्लिज़म) विषय के अन्तर्गत सहायक प्राध्यापक पद हेतु साक्षात्कार हुए
जिसमें मेरा अंतिम रूप से चयन नहीं किया जा सका। इस बात का मुझे तनिक
दुःख नहीं है। लेकिन, मुझे साक्षात्कार के दौरान साक्षात्कारकत्र्ताओं के
रवैए असहज कर देने योग्य लगे। यदि आपके द्वारा सही और उपयुक्त आवेदक
चुनने का यही सर्वश्रेष्ठ आधार/मानदण्ड है, तो इसमें बदलाव अपेक्षित है।
फि़लहाल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के गुरुकुल से अध्ययनजीविता का
संस्कार पाये हम जैसे विद्यार्थी आप तक अपनी यह शिकायत दर्ज करा सकते हैं
कि-‘वनस्थली मंदिर है, सौध, नीड़ है, गेह है, कुंज है, आलय है.....लेकिन
साथ ही साथ यहाँ हिन्दी भाषा के प्रति दुराग्रह/पूर्वग्रह भी हैं; यह
अविश्वसनीय तथ्य मुझ जैसे विद्यार्थी को हमेशा सालेंगे। इन अर्थों में
अधिक कि इस पवित्र विद्या-संस्थान में साक्षात्कार देने आने के पूर्व
मैंने पूरजोर मेहनत की और विषयानुरूप प्रस्तुति हेतु मुद्रित साक्ष्य भी
प्रस्तुत किए।(उनकी साॅफ्ट काॅपी ई-मेल के साथ अटैच है), तब भी उन
कार्यों का मूल्यांकन सिफ़र ही रहा।’

आशा है, आप स्वस्थ एवं सानंद होंगे।
सादर,

भवदीय,
राजीव रंजन प्रसाद
वरिष्ठ शोध अध्येता(SRF)
प्रयोजनमूलक हिन्दी पत्रकारिता
काशी हिन्दू विष्वविद्यालय
वाराणसी-221005
मो.: 7376491068

Rajeev Ranjan

AttachmentSun, Jul 20, 2014 at 5:44 AM
To: adityashastri@yahoo.com, saditya@banasthali.ac.in

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