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लोग झाड़ा फिरने आते थे
भिनसारे से सुबह तक
नदी की ओर
लोग नहाने आते थे
भोर होते या उदित होते सूरज संग
नदी की ओर
लोग कई-कई मर्तबा आते थे
इस-उस काम से
नदी की ओर
नदी की ओर
अब कोई नहीं आता
कहते हैं सब-‘बिन पानी की नदी किस काम की....?’
--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...
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