Thursday, September 11, 2014

ओह! मेरे लोगों...!!!


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नई सरकार प्राकृतिक आपदाओं के कारणों को भी सुने, तो बात बने
 
एहतियातन अपना बचाव हरसंभव मुस्तैदी से करना चाहिए। इस बार की आपदा संभवतः पिछली बार से अधिक त्रासदीजनक हो। पिछली रात भूकम्प के झटके मिले। यह अनायास नहीं, अपितु आगत संकट का पूर्व-संकेत है। गत वर्ष उतराखण्ड में जो कुछ घटित हुआ; यदि वह सब हमें याद है। हमने बेहतर प्रबंधन और बचाव के विकल्प चुन रखे हैं या कि उसके इंतजमात को ले कर आश्वस्त हैं, तो डरने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, अब हमें भविष्य में ऐसी घटनाओं से हमेशा दो-चार होने की आदत डाल लेनी होगी।
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आप मेरी किसी बात पर भरोसा करें, जरूरी नहीं है। लेकिन, अपने विवेक का इस्तेमाल तो जरूरी है। मैं कहूं कि कल इमारत धसेंगे और हम सब ज़मीन के भीतर समा जाएंगे। आप कहेंगे, बड़े आए भविष्यवाणी करने वाले। लेकिन यह सच है। हमारे विनाश में सिर्फ पांच ही चीज शामिल होंगे-‘क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर’। यह सब जब होगा आपकी ‘अच्छे दिन’ लाने वाली सरकार(पिछली सरकार निकम्मी थी यह बताने की जरूरत नहीं है) टुकुर-टुकुर देखती रहेगी या चिल्लाएगी: ‘आपदा राहत...आपदा प्रबंधन.... आपदा कोष....’।

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...