Thursday, June 9, 2011

एम0 एफ0 हुसैन के मरने पर फिदा होना देश का!



कंग्राच्यूलेट एम0 एफ0 हुसैन कि आप हिन्दुस्तान की सरज़मी पर नहीं हुए दफ़न। मरे भी तो इंगलैण्ड में। 95 वर्ष की लंबी उम्र के साथ। आपका मरना आर्यावर्त के लिए न तो खेद का विषय है और न ही राष्ट्रीय क्षति का। आपका मरना तो विश्व-क्षति(भारत छोड़कर) है। यों भी देशनिकाला पाए इंसान के मरने पर भला देश में कैसा शोक और कैसा मातम? फ़िलहाल घड़ियाली आँसू बहाने वालों को अपनी चारित्रिक निष्ठा का डीएनए टेस्ट अवश्य कराना चाहिए। आप वर्षों इस देश में रहे; यहाँ की जमीन, जल, मिट्टी, हवा-बतास और प्रकाश से ताल्लुकात रखा; किन्तु गोया आपने इस देश में पैठे हिन्दू-भूगोल को वस्तुतः समझने की कोशिश नहीं की। आप क्या नहीं जान रहे होंगे कि राष्ट्रप्रेमी हिन्दू अपने देवी-देवताओं का अपमान किन्हीं शर्तों पर बर्दाश्त नहीं करते हैं; वे तो इन देवी-देवताओं की चरणधूली तक को गंगाजल समझकर सहर्ष पी जाते हैं। हुसैन जी! क्या आपको नहीं पता था कि इन महत्त्वपूर्ण देवी-देवताओं का विभिन्न पर्व-त्योहार के मौके पर आत्मिक जुलूस और पदयात्रा निकालना बेहद सुखद और प्रितिकर होता है? आप भले आस्तिक न हों; किन्तु यह एक अटल सचाई है कि हिन्दू देवी-देवताओं के दैवीय-कृपा से भारत का एक भी हिन्दू धर्मावलम्बी अछूता नहीं है। वह आज तक भ्रष्ट और बेईमान न हो सका है। ऐसे महान और महानतम हिन्दू राष्ट्र की आत्मा इन्हीं देवी-देवताओं के भीतर वास करती है; बाकी तो जीवित लाश हैं। सन् 1996 में आपने यही पर ‘बरियार’ ग़लती कर दी। हिन्दू देवी-देवताओं की नग्न तस्वीरें बनाने की धृष्टता कर आपने भले कला और सौन्दर्य की असीम(?) ऊँचाई प्राप्त कर ली हो...लेकिन आपने असल में हिन्दू धर्म के मूल मर्यादा का चीरहरण कर डाला। भारत जैसे राष्ट्र में भ्रष्ट, बेईमान, अपराधी, माफिया, जमीन्दार और गुण्डा-बदमाश बहुतायत हैं; लेकिन वे हिन्दू नहीं है। भाजपा या संघ रात-दिन चिल्लाते है कि ये सारे असामाजिक जंतु जो जन्मजात दोमुँहे और दूरंगी जात के संकर पैदाइश हैं; को दर-बदर किया जाए। ये लोग कथित तौर पर हिन्दू धर्मावलम्बी तो हैं; लेकिन धार्मिक चित्त, प्रवृत्ति और संचेतना के नहीं हैं। अतएव, आपके मरने पर देश के हिन्दू न तो शोकाकुल हैं और न ही चिन्तित। उल्टे डर है कि कहीं आपको भारत में भी 'भारत का पिकासो’ उपाधि से विभूषित न कर दिया जाए!

3 comments:

संजय @ मो सम कौन... said...

@ अतएव, आपके मरने पर देश के हिन्दू न तो शोकाकुल हैं और न ही चिन्तित। उल्टे डर है कि कहीं आपको भारत में भी 'भारत का पिकासो’ उपाधि से विभूषित न कर दिया जाए! :

कहीं उलझ गये बंधु। डर, चिंता, शोक एक ही जाति के शब्द हैं।

Rahul Singh said...

हर इंसान के जीवन की तरह हुसैन के भी खाते में कई जमा-नामे हैं.

सुजाता said...

aap agar ek hindstani hone ke nate rosh jahir karte hai to yeh bilkul sahi hai...aakhir koi apni maryada par lanchan kaise sah sakta hai...itihaas ke panoo me jab jab yeh namm ayega ek baar to dil dikaarega hi.
par ek mahan kalakar ki dristi se dekhe to yeh kala jagat ki apurniye chati hai.har kissi se galti hoti hai
chahe woh issan ho ya bhagwan... hussain sahab v apne safad vyaktitwa par antim varso me kuch chite laga gye .
jo hua so accha nahi hua par ek patrakar ki dristi se aap unka dusra packha v rakhe ...

हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...