Friday, November 26, 2010

ओ माय गॉड! यह बत्ती तो गुल हो गई



‘‘...15वें लोकसभा चुनाव के शपथग्रहण समारोह में हिन्दी में शपथ लेकर पूरे देश का मन मोह लेने वाली पूर्वोतर की युवा सांसद अगाथा संगमा आज अखबारी और टेलीविजन परिदृश्य से गायब दिखती हैं। अन्य युवा नेताओं मसलन प्रदीप कुमार मांझी, अशोक तंवर, मीनाक्षी नटराजन, मौसम नूर, जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट मानों ‘बक्कफुट’ पर ‘शिफ्ट’ कर दिए गये हैं जबकि कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी की हर तरफ ‘जय हो’ रही है। उन्हें पुनरोदय और पुनर्जागरण का सूत्रधार भी कहा जाने लगा है। खासकर बिहार और उत्तर प्रदेष््रा में वह बदलाव के संवाहक के रूप में प्रचारित हैं। इन दोनों प्रान्तों में आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस क्या गुल खिलाती है, यह देखा जाना अभी बाकी है।’’
(मासिक पत्रिका ‘सबलोग’ के अप्रैल, 2010 अंक में प्रकाशित स्वयं के आलेख से लिया गया अंश)

2 comments:

Anonymous said...

rajeev ji short me yahi samajh lijiye ki ve hi vuwa neta charcha me hain jinhe bujurgon ne charcha me lana chaha hai.
AKHIR ABHI YUVA RAJNITI ME ALPSANKHYAK HAIN.

Anonymous said...

rajeev ji short me yahi samajh lijiye ki ve hi vuwa neta charcha me hain jinhe bujurgon ne charcha me lana chaha hai.
AKHIR ABHI YUVA RAJNITI ME ALPSANKHYAK HAIN.

हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...