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काफी उत्साहित हूँ। कल अहले सुबह गाँव जाना है। मतदान देने का उत्साह चरम पर है। लोकतंत्र की निग़ाह में सर्वसाधारण नागरिक होने का सबसे शुभ सुअवसर है यह। चलो, अच्छा है। शब्दों और भाषाओं में कचोधन या माथापच्ची करने से अच्छा है कि हम चुपचाप मतदान करें। राजनीति पर बात बखनाने और बहसबाजी करने का जिम्मा जिन भाषा-नायकों को है; फिलहाल इसे वही संभालें। वैसे आज काफी दिनों से दिलों-दिमाग में चल रहा आलेख ‘कमण्डल पितृसत्ता और धरती धन स्त्री’; पूर्ण हुआ।
काफी उत्साहित हूँ। कल अहले सुबह गाँव जाना है। मतदान देने का उत्साह चरम पर है। लोकतंत्र की निग़ाह में सर्वसाधारण नागरिक होने का सबसे शुभ सुअवसर है यह। चलो, अच्छा है। शब्दों और भाषाओं में कचोधन या माथापच्ची करने से अच्छा है कि हम चुपचाप मतदान करें। राजनीति पर बात बखनाने और बहसबाजी करने का जिम्मा जिन भाषा-नायकों को है; फिलहाल इसे वही संभालें। वैसे आज काफी दिनों से दिलों-दिमाग में चल रहा आलेख ‘कमण्डल पितृसत्ता और धरती धन स्त्री’; पूर्ण हुआ।
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