1.
अपने विश्वविद्यालय के नाम ख़त
........................................
मैंने एक चिट्ठी लिखी है
अपने विश्वविद्यालय के नाम
मैंने लिखा है:
'यदि इस विद्यालय में भ्रष्टाचार आम है,
तो मेरा ईमानदार होना
एक झन्नाटेदार थप्पड़ है
अपने विश्वविद्यालय के मुँह पर।
2.
पहचान
.........
मेरे ई-मेल बाॅक्स में
आते हैं बहुत सारे मैसेज
लेकिन नहीं आता एक भी ई-मेल
कभी-कभार राह-भटके किसी मुसाफिर की तरह
जिसमें लिखा हो-‘प्रिय राजीव, कैसे हो?’
साफ है कि मैं आदमी हूँ, लेकिन पहचानदार आदमी नहीं हूँ!
3.
पंक्षी
......
पंक्षी
चाहे जिस दिशा से आते हों
चाहे जितने दिवस भी रहते हों
चाहे करते हों कलरव कितना भी
विदाई की बेला में उनके लिए
नहीं गाता है कोई भी विदाई गीत।
अपने विश्वविद्यालय के नाम ख़त
........................................
मैंने एक चिट्ठी लिखी है
अपने विश्वविद्यालय के नाम
मैंने लिखा है:
'यदि इस विद्यालय में भ्रष्टाचार आम है,
तो मेरा ईमानदार होना
एक झन्नाटेदार थप्पड़ है
अपने विश्वविद्यालय के मुँह पर।
2.
पहचान
.........
मेरे ई-मेल बाॅक्स में
आते हैं बहुत सारे मैसेज
लेकिन नहीं आता एक भी ई-मेल
कभी-कभार राह-भटके किसी मुसाफिर की तरह
जिसमें लिखा हो-‘प्रिय राजीव, कैसे हो?’
साफ है कि मैं आदमी हूँ, लेकिन पहचानदार आदमी नहीं हूँ!
3.
पंक्षी
......
पंक्षी
चाहे जिस दिशा से आते हों
चाहे जितने दिवस भी रहते हों
चाहे करते हों कलरव कितना भी
विदाई की बेला में उनके लिए
नहीं गाता है कोई भी विदाई गीत।
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