Sunday, April 13, 2014

मोदी, केजरीवाल और मीडिया फिक्सिंग

उस दिन सुबह-सुबह प्रमोद कुमार बर्णवाल बनारस के सिगरा स्टेडियम पहुँचे, तो वहाँ पहले से आम आदमी पार्टी के कुछ कार्यकर्ता मौजूद थे। पूर्व सूचना के मुताबिक अरविन्द केजरिवाल को वहाँ मार्निंग वाॅकरों से मिलने आना था। एक दिन पहले ही उन पर रोड-शो के दौरान स्याही का छिड़काव हुआ था, काले झण्डे दिखाये गए थे। हमारे सीनियर साथी प्रमोद जी का लगाव और झुकाव ‘आम आदमी पार्टी’ के प्रति बेहद भावनात्मक और निष्ठापूर्ण है। मेरी आलोचनात्मक टिप्पणियों का वे हरसंभव प्रत्युत्तर देते हैं। उस दिन हम दोनों इसी उम्मीद से गए थे कि सच को थोड़े करीब से क्यों न साथ-साथ देखा-परखा जाए। सिगरा स्टेडियम में अरविन्द केजरीवाल तो नहीं मिले; लेकिन वहाँ ‘आप’ के चर्चित नेता सोमनाथ भारती से सीधी बात और मुलाकात हुई। इस दरम्यान कई जानदार, दिलचस्प और अजीबोगरीब वाकया भी देखने-सुनने को मिला। सर्वाधिक मुश्किल था, मीडियावी राजनीति की नंगई, बेशर्मी और साँठ-गाँठ को अपनी नंगी आँखों से देखना। अपने इस अनुभव को प्रमोद कुमार बर्णवाल ने डायरी की शक्ल में ‘इस बार’ को प्रकाशन के लिए भेजा है। मैं उनके ‘मन की बात’ को उन्हीं की भाषा, शैली और शब्दावली में यहाँ आप सबों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।-माॅडरेटर

डायरी
26/3/14

’आप’ पार्टी के अरविन्द केजरीवाल 25/3/14 को वाराणसी पहुंचे। अख़बारों में पूर्व सूचना प्रकाशित की गई थी कि केजरीवाल अगले दिन सुबह में वाराणसी स्थित सिगरा स्टेडियम पहंुचेंगे और लोगों से भेंट करेंगे। अरविन्द केजरीवाल से मिलने की उत्सुकता में मैं भी अगले दिन सुबह के लगभग सवा पांच बजे स्टेडियम पहुंच गया। मैंने देखा कि पहले से ही कई लोग स्टेडियम के मुख्य गेट के पास उसके खुलने का इंतजार कर रहे थे। वहीं पर एक व्यक्ति आम आदमी पार्टी के स्लोगन वाली टोपी और टी-शर्ट पहने बैठा था। मैंने उस व्यक्ति से कंफर्म करने के लिए पूछा कि क्या स्टेडियम में अरविन्द केजरीवाल आने वाले हैं? उस व्यक्ति ने कहा कि उसने भी ऐसा ही कुछ सुना है। मैंने उसका परिचय पूछा। उस व्यक्ति ने अपना नाम चन्द्रकान्त पाण्डेय बताया। उसने बताया कि वह पेशे से वकील है, वह मूल रूप से वाराणसी का रहने वाला है, लेकिन इधर कई वर्षों से मुम्बई में ही क्रिमिनल प्रैक्टिसनर के रूप में रह रहा है, लेकिन लोकसभा चुनाव के समय ’आप’ का प्रचार करने के लिए दो महीने की छुट्टी लेकर वाराणसी आ गया है। कुछ देर बाद गेट खुला और लोगों ने गेट के अन्दर प्रवेश करना शुरू किया। मैंने भी स्टेडियम के अन्दर प्रवेश किया।

कुछ देर बाद मुझे दूर से राजीव रंजन आता दिखाई पड़ा। पिछले दिन मैंने अपने मित्र राजीव रंजन और सुकेश को फोन किया था और फिर बातचीत में ही अख़बार में छपी उस ख़बर का जिक्र किया जिसमें लिखा हुआ था कि अरविन्द केजरीवाल आज के दिन सुबह में सिगरा स्टेडियम में लोगों से बातचीत करेंगे। मेरी बात सुनकर सुकेश और राजीव रंजन दोनों ने सुबह में स्टेडियम चलने के लिए उत्सुकता दिखाई थी। सुकेश तो नहीं आया किन्तु राजीव रंजन स्टेडियम पहुंच गया था। स्टेडियम में धीरे धीरे लोगों की भीड़ बढ़ने लगी थी। मैं और राजीव रंजन गप्प करने लगे। इसी दौरान तीन-चार दस ग्यारह वर्ष के बच्चे हमारे नजदीक आ गए थे।

दरअसल वे लोग चन्द्रकान्त पाण्डेय को देखकर हमारे नजदीक आ गए थे, ’आप’ पार्टी के स्लोगन वाली टोपी में वे हम सब से थोड़ा अलग नज़र आ रहे थे। मैंने उनसे पूछा तुमलोग यहां क्यों घूम रहे हो? उन्होंने कहा कि उन्हें अरविन्द केजरीवाल से मिलना है। मैंने चन्द्रकान्त पाण्डेय की ओर इशारा किया और कहा कि ये ही तो हैं अरविन्द केजरीवाल। एक बच्चे ने कहा कि नहीं ये अरविन्द केजरीवाल नहीं हैं। मैंने कहा तुम उन्हें पहचानते हो? बच्चे ने कहा हां अरविन्द केजरीवाल को मूंछें हैं। मैं अब तक कई बार अरविन्द केजरीवाल को टीवी में देख चुका था, लेकिन इस बात पर कभी गौर नहीं किया कि उन्हें मूंछें हैं या नहीं। मैं थोड़ी देर से चन्द्रकान्त पाण्डेय से भी गप्प कर रहा था, किन्तु उनमें और अरविन्द केजरीवाल में इस बारीक अन्तर पर मैंने अब तक ध्यान नहीं दिया था। मैंने चन्द्रकान्त पाण्डेय के चेहरे की ओर देखा, उनका चेहरा सफाचट था। मैंने हँसते हुए कहा, सर आपको मूंछें रख लेनी चाहिए। वहीं पर एक व्यक्ति और थे, उन्होंने अपना नाम आनंद प्रकाश त्रिपाठी (उम्र 35) बताया। उन्होंने कहा कि कुछ दिनों पूर्व अख़बार में छपे अरविन्द केजरीवाल की तस्वीर को देखकर उनकी तीन वर्ष की बच्ची यह कह उठी कि पापा देखो अरविन्द केजरीवाल.....। आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने आगे कहा कि अब तो देश का बच्चा-बच्चा अरविन्द केजरीवाल को पहचानने लगा है। आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि वे सनराइज इन्टर काॅलेज, बड़हलगंज, जिला-गोरखपुर में मैनेजर हैं और दो महीने की छुट्टी लेकर ’आप’ के प्रचार के लिए वाराणसी आए हैं।

थोड़ी देर बाद कुछ पुलिस वाले हमारे नजदीक आए और आष्चर्यचकित होते हुए कहा यहां कोई स्टेज नहीं बना है? एक ने कहा नहीं, अरविन्द केजरीवाल स्टेज से बोलने नहीं बल्कि सुबह सुबह टहलने वाले लोगों से बातचीत करने आने वाले हैं। थोड़ी देर बाद मीडिया के लोगों ने भी कैमरा लेकर स्टेडियम में प्रवेश किया। इसी दौरान बातचीत में चन्द्रकान्त पाण्डेय ने अपना एक अनुभव सुनाया, उन्होंने कहा कि वे एक बार किसी पान की दुकान पर पहुंचे और पान की मांग की। चन्द्रकान्त पाण्डेय उस समय भी ’आप’ पार्टी की टोपी लगाए हुए थे। पनवाड़ी ने उनके हुलिए को देखकर टिप्पणी की कि गुरु तीन चार साल ठहर जाते, देख लेते कि यह पार्टी जीत रही है कि नहीं, उसके बाद इसकी टोपी लगाते, इतनी जल्दी क्या थी?

आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अबुल कलाम के पास गए थे, उन्होंने उनके सामने जनलोकपाल बिल की बात रखी। दरअसल अरविन्द केजरीवाल कोई प्रसिद्ध चेहरा ढूंढ रहे थे, जिनके नेतृत्व में जनलोकपाल बिल लाने के लिए आन्दोलन चलाया जा सके। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति तैयार नहीं हुए। तब वे आध्यात्मिक गुरु रविश्षंकर के पास गए और उनसे भी इस आन्दोलन में साथ देने को कहा, लेकिन वे भी इसके लिए तैयार नहीं हुए। तब वे रालेगण सिद्धि गए, और अन्ना हजारे से मिले, अन्ना इसके लिए तैयार हो गए। इस तरह से अरविन्द केजरीवाल ही अन्ना को दिल्ली लेकर आएं। आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि उस समय अरविन्द केजरीवाल की टीम को भी इस बात का अंदाज नहीं था कि उनकी इस मुहिम से इतनी संख्या में लोग जुड़ जाएंगे।

इस पर चन्द्रकान्त पाण्डेय ने कहा कि अगर उस समय सरकार ने जनलोकपाल बिल की बात मान ली होती तो ’आप’ पार्टी बनाने की ज़रूरत ही नहीं होती। आनंद प्रकाष त्रिपाठी ने कहा कि अगर अन्ना हमारे साथ होते तो पार्टी को और भी लोगों का सहयोग मिलता, लेकिन उनके न आने के बाद भी हमारी पार्टी आगे बढ़ रही है और आज के समय में अन्ना का कद अरविन्द केजरीवाल के सामने छोटा पड़ गया है। लगभग साढ़े सात बजे हमलोगों को दूर से कुछ लोग आते हुए दिखाई पड़े। थोड़ी ही देर में उनलोगों को अनेक लोगों ने घेर लिया था। हमलोग भी उनके समीप पहुंचे। नजदीक जाकर देखा ये सोमनाथ भारती थे। अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में रहे भूतपूर्व कानून मंत्री। उन्हें लोगों ने घेर लिया था। मैं भी उनके पीछे खड़ा हो गया। लोगों ने उनके सामने प्रश्नों की झड़ी लगा दी थी। एक ने कहा अच्छा ये बताइए आपलोग दिल्ली से भागे क्यों? और यहां आकर अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि जब जनता चाहेगी तब ही हम यहां पर चुनाव लड़ेंगे, आपको यहां पर चाहता कौन है? आपको यहां पर कोई नहीं चाहता, एक भी आदमी चाहता हो तो बताएं। भीड़ में से कुछ लोगों ने अपने हाथ उठाएं और कहा हम चाहते हैं। सोमनाथ भारती मुस्कुराये और कहा देखिये लोग चाहते हैं कि अरविन्द केजरीवाल यहां से चुनाव लड़ें। इतना सुनना था कि सवाल करने वालों का चेहरा उतर गया।

सोमनाथ भारती ने आगे कहा जब मैं पहले दिन अपने आॅफिस पहुंचा तो देखा कि वहां पर कोई साॅकेट नहीं है जिससे मैं अपना लैपटाॅप जोड़ सकूं। मैंने वहां के कर्मचारी से इस बारे में पूछा। उसने कहा सर पहले के कानून मंत्री यहां बैठते ही नहीं थे, वे तो वहां सोफे पर बैठते थे। तब मैंने अपने आॅफिस में साॅकेट लगवाया। मैंने अपने आॅफिस के अधिकारियों को कहा कि  वे यहां की फाइलें लेकर आएं। अधिकारियों ने कहा कि सर आप फाइलें देख कर क्या करेंगे? यहां पर पहले के कानून मंत्री दो चार फाइलें देखकर उनपर हस्ताक्षर कर दिया करते थे, आप भी ऐसा ही करिये। मैंने कहा नहीं मुझे फाइलें दिखाओ, जब मैंने फाइलों की मांग की तो उन्होंने यह ख़बर फैला दी कि कानून मंत्री जजों की एक मीटिंग बुलाने के लिए कह रहे हैं जो कि उनके अधिकार में नहीं है, आपसबों ने भी अख़बार में वह ख़बर पढ़ी होगी। तब मैंने लिखित में उनको आॅर्डर पास किया कि कोई भी फाइल मेरी टेबल से गुजरे बिना नहीं जायेगा। जब मैंने फाइलें देखी तो देखकर दंग रह गया कि उसमें वकीलों को एक केस में बहस के लिए दो लाख रुपये अदा किये गये थे जबकि उस केस की कोई बहस हुई ही नहीं थी। मुझे वहां पर यह भी पता चला कि जिसकी सरकार बनती थी वे अपने समर्थक कुछ वकीलों का पैनल गठित कर देते थे। मैंने पहली बार वहां पर यह नियम बनाया कि अब से किसी बहस में हिस्सा लिए बिना वकीलों को कोई रकम नहीं दी जायेगी। दूसरे अब से वकीलों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर की जायेगी। इसके बाद वकीलों की नियुक्ति के लिए पहली बार विज्ञापन निकाले गए। सोमनाथ भारती ने इतना कहा था और इससे लोग प्रभावित होने लगे थे कि तभी उन कुछ खास लोगों ने फिर से सवाल दागा आपने क्या किया यह सब मत बताइये..... आपने कुछ नहीं किया आपको पांच साल तक सरकार चलाना चाहिए था, आप भगेड़ू हैं। मैंने ध्यान दिया कुछ खास लोग थे जिन्होंने सोमनाथ भारती को अपने सवालों से घेर लिया था। वे कुछ खास लोग अपने तीखें सवालों के साथ सोमनाथ भारती पर टूट पड़े थे। एक के बाद एक सवाल दागे जा रहे थे। सोमनाथ भारती ने कहा आप मुझे जवाब देने तो दीजिये, मैं आपके हर सवाल का जवाब दूंगा।

सोमनाथ भारती बार बार कहे जा रहे थे कि मेरी बात सुन तो लीजिये और वे कुछ खास लोग बार बार एक ही सवाल किये जा रहे थे इसको छोड़िये यह बताइये कि आप लोग सरकार से भागे क्यों? सोमनाथ भारती ने कहा वही तो मैं बता रहा हूँ। देखिये हमलोग......अभी सोमनाथ भारती ने इतना कहा ही था कि उस व्यक्ति ने कहा कि आपलोग भगेड़ू हैं। तब तक एक ने कहा सरकार चलाने में आपलोगों का फट गया, आप लोग गड़फट्टु हैं। इसके बाद लोगों ने चिल्लाना शुरू किया हर हर महादेव.....। एक ने कहा आपने अपनी सरकार के समय क्या किया?  सोमनाथ भारती ने कहा वही तो मैं बता रहा हूँ। उस व्यक्ति ने कहा आप दिल्ली वाली बात मत बताइये। यहां की समस्या के बारे में बताइये। एक ने कहा आपलोग मुलायम के खिलाफ भी खड़े हो सकते थे, सोनिया गांधी के खिलाफ भी खड़े हो सकते थे, आपलोग मोदी के खिलाफ ही खड़े क्यों हुए? सोमनाथ भारती ने कुछ कहना चाहा लेकिन उन्हें घेरे लोग उन्हें कुछ भी कहने नहीं दे रहे थे। एक ने कहा हमलोग पिछले छह महीने से आपको सुनते आए हैं, अब आप हमलोगों की सुनिये आपलोगों को एक सीट भी नहीं आएगा। इतना कहने के बाद उन लोगों ने चिल्लाना शुरू कर दिया हर हर महादेव.......मोदी....मोदी....। मैंने ध्यान दिया कि वहां पर करीब दस बारह लोग थे जो बार बार सोमनाथ भारती से सवाल किये जा रहे थे। लेकिन वे लोग उन्हें जवाब देने नहीं दे रहे थे। मैंने एक बात और देखा कि सोमनाथ भारती इस दौरान हँसते रहे थे, वे एक ही बात कहे जा रहे थे भाई मेरे मुझे जवाब देने तो दो। सोमनाथ भारती बार बार सवाल करने वाले लोगों को अपने गले से लगा ले रहे थे और उनसे एक ही बात कह रहे थे भाई मेरे मेरी बात सुन तो लो। लेकिन उनकी बात उन लोगों को नहीं सुननी थी उन्होंने नहीं सुना। सोमनाथ भारती वहां से हटकर थोड़ा आगे बढ़े वहां भी उन्हीं कुछ लोगों ने उन्हें घेरे रखा और पूरी कोशिश की कि वे वहां के लोगों से कोई संवाद नहीं कर पायें। कुछ पत्रकारों ने सोमनाथ भारती से सवाल पूछना चाहा लेकिन उन कुछ लोगों ने सोमनाथ भारती को कोई जवाब देने नहीं दिया। जब सोमनाथ भारती कोई जवाब देते वे हल्ला करने लगते।

वहां पर मीडिया का भी खेल चल रहा था, सहारा समय के पत्रकार भी वहां पर उपस्थित थे, एक पत्रकार ने वहां उपस्थित लोगों से कहा आप लोग अपने अपने हाथ उठाइये और मोदी ...... मोदी का नारा लगाइये मैं आपलोगों का विजुअल लूंगा। उसकी बात सुनकर लोगों ने अपने हाथ उठा दिये और मोदी.... मोदी चिल्लाना शुरू कर दिया। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने अपने हाथ नहीं उठाये थे। उन पत्रकारों ने कहा आपलोग भी अपने हाथ उठाइये। उन लोगों ने हाथ उठाने और मोदी के पक्ष में नारे लगाने से इन्कार कर दिया, तब उन पत्रकारों ने कहा अगर आपलोग हाथ नहीं उठाएंगे तो आपलोग यहां से हट जाएं। उन लोगों को बुरा लगा उन्होंने इसका विरोध किया कि हमलोग क्यों हटंे? तब उन पत्रकारों ने कहा अगर आप यहां से नहीं हटेंगे तो ये लोग आपका हाथ उठा देंगे। पत्रकारों ने अपनी बात पूरी की ही थी कि वहां उपस्थित अन्य लोगों ने उन दो तीन लोगों के हाथ जबरदस्ती पकड़कर उठा दिये। लोगों ने चिल्लाना शुरू किया मोदी......मोदी। विरोध करने वाले अल्पसंख्यक न चाहते हुए भी उस भीड़ का हिस्सा हो गये थे, और उन पत्रकारों ने मोदी समर्थक के रूप में उनकी वीडियो तैयार कर ली थी।

अब तक कुछ पुलिस वाले भी वहां पर आ गये थे, उन्होंने सोमनाथ भारती से कहा आप लोग यहां से बाहर चले जाइये जो बातचीत करनी है बाहर कीजिये। उनकी बात सुनकर सोमनाथ भारती स्टेडियम से बाहर निकलने लगे। लेकिन अभी भी उन कुछ खास लोगों ने सोमनाथ भारती का पीछा नहीं छोड़ा था, वे स्टेडियम से बाहर की ओर निकल रहे थे और वे लोग उनपर सवाल दागे जा रहे थे। ’आप’ पार्टी के एक समर्थक ने उन लोगों से कहा आपलोग इस ओर भी ध्यान दीजिये कि क्या आज से पहले भी कोई नेता इस तरह आपके बीच आया है? कितने नेता हैं जिनसे आपको इस तरह का सवाल पूछने का मौका मिला है? अगर यहीं पर राजा भैया और मुख्तार अंसारी आ जाते तो क्या आप उनसे ये सब सवाल पूछ पाते? ’आप’ पार्टी के उस कार्यकर्ता का भी उन खास लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने कहना शुरू किया यहां से बाहर जाइये .......जाने कहां से चले आते हैं .......स्टेडियम में सिर्फ खेल की बात की जानी चाहिए.....। सोमनाथ भारती हँसते हुए स्टेडियम से बाहर निकले, उन्होंने कहा लोगों के पास बहुत सारे सवाल हैं, मैं इस तरह के सवालों को पाॅजिटिव रूप में लेता हूँ।

-प्रमोद कुमार बर्णवाल
pramodbarnwalbhu@gmail.com

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