Saturday, December 27, 2014

वाह! रजीबा वाह!

बतकही/जनता की अड़ी
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सरकार का सरकारी नेतृत्व करने वाला शख़्स उस मंत्रिमण्डल विशेष का प्रधानमंत्री हो सकता है। देश का असली प्राइम मीनिस्टर वहां की जनता है भाई जी-बहिन जी! जो प्राइम मीनिस्टर होना नहीं चाहती; लेकिन वह चाह जाए तो तेरह महीने क्या तेरह दिन में प्राइम मीनिस्टर पर सुशोभित व्यक्ति को दर-बदर कर सकती है। 
 
धत् महराज! ‘भारत के प्रधानमंत्री’ वाला बचवन का मनोहर पोथी नहीं पढ़े हैं क्या? उसमें देख लीजिए जनता ने किसको और कितने दिनों तक प्रधानमंत्री बनाया है; और ज्यादा हूमचागिरी करने पर अगले चुनाव में पटखनी भी दे दिया है। जनता की डीएनए में से कांग्रेस जैसे गायब हो गई न! भाई जी, बहन जी! यूपी में से बहन जी का हाथी करवटिया गया न!
समाजवादियों और वामपंथियों ने कहां क्या भुगता है यह भी बताना पड़ेगा? और लालूजी और पासवान जी के बारे में तो बच्चा-बच्चा जानता है कि उन्हें जनता ने जितना ही आदर दिया वे उतने ही आसमानी और हवाई हो गए; अब उनसे ज़मीन धरायेगा...ई त भाई जी-बहिन जी! मेरी समझ से कवनो ज्योतिष, पंडित ही बता सकता है; है कि नहीं!
 
मेन बात ई है कि सरकार में ‘वन फेस सुपर हेजेमनी’ प्रधानमंत्री ही न कसौटी पर कसे गए हैं।  इतिहास से न सीखेंगे, तो इनका भी हश्र क्या होगा; ई बताना पड़ेगा क्या..?

बड़े आए प्रधानमंत्री का ज्ञान-पाठ सिखाने। ज्यादा ठंडाइए मत...जाइए,  जन-धन में में कुछ काम लायक धन-वन भेजिए!

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...