Monday, May 18, 2015

पीकूः रिश्तों में कोई मध्यांतर नहीं!

पकपकिया पिता पर पागल बेटी की कहानी या और बहुत कुछ!!!
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समीक्षा, फिर कभी! वैसे इसकी जरूरत किसे है?

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...