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एक दिन दीवाल घड़ी के सेकंड की सुई टूट गई। मेहरारू ने देखा कि मैं उसकी चिंता में शामिल नहीं हूं; उसके ‘समय’ पर ध्यान नहीं दे रहा हूं, तो उसने झाड़ू की सींक नापतौल के हिसाब से घड़ी में फिट कर दी। बड़ी कलाकारी; घड़ी चलने लगी।
अब कोई भी समस्या आती है, तो वह कहती है; उनसे मत कहिए वे वेद लिख रहे हैं। अपने सर से भी अधिक ज्ञानी समझते हैं खुद को। उनको गंगा नहाने दीजिए।
आप अपनी समस्या का हल मुझसे पूछिए।
वाह! मेहरारू राम!वाह!
एक दिन दीवाल घड़ी के सेकंड की सुई टूट गई। मेहरारू ने देखा कि मैं उसकी चिंता में शामिल नहीं हूं; उसके ‘समय’ पर ध्यान नहीं दे रहा हूं, तो उसने झाड़ू की सींक नापतौल के हिसाब से घड़ी में फिट कर दी। बड़ी कलाकारी; घड़ी चलने लगी।
अब कोई भी समस्या आती है, तो वह कहती है; उनसे मत कहिए वे वेद लिख रहे हैं। अपने सर से भी अधिक ज्ञानी समझते हैं खुद को। उनको गंगा नहाने दीजिए।
आप अपनी समस्या का हल मुझसे पूछिए।
वाह! मेहरारू राम!वाह!
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