Sunday, August 17, 2014

कविता में बारिश का नाम


..........................

ओरहन देते खेतों का
बदला है स्वर
यह बरसे बारिश का असर है!

भर गए हैं ताल-पोखर
पाँची* नदी गिर रही है झार के
यह बरसे बारिश का असर है!

बदला है मिजाज
जोंकटियों के रेंगने का पानी में
यह बरसे बारिश का असर है!

जुटे गए हैं किसान
अपने-अपने अभियान में
यह बरसे बारिश का असर है!

बच गई है खेतिहरों की आत्मा
अकालग्रस्त होने से
यह बरसे बारिश का असर है!

तवाँ गई हथेली अफ़सरों-बाबूओं की
कि नहीं मिलेगी रेवड़ियाँ** इस बार 
यह बरसे बारिश का असर है!

आदमी होने की जद्दोज़हद मे
आखिर सफल हुए किसान
यह बरसे बारिश का असर है!

लेकिन कहना भाई मोदी जी से
एक विज्ञापन रचे और
कि यह ‘अच्छे दिन’ का असर है!!!
...............................
*कैमूर की पहाड़ी की एक घाटी झील
**जो अकाली क्षेत्र घोषित होने पर मिलती है

No comments:

हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...