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दिक्कत/विडम्बना यह है कि हमारी काबिलियत को दूसरी जगह पहले पहचान और इज्ज़त मिलती है, अपने यहां जिसे जानबूझकर हाशिए पर रखा जाता है।
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राजीव रंजन प्रसाद
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भारतवासी अमेरिका जाते ही भारतवंशी-अमेरिकी हो जाता हैं। यह होना अपनेआप
में गर्व और गौरव का विषय है; भारत और अमेरिका दोनों के लिए। यह
अन्तर-सांस्कृतिक मोर्चे पर साझा नेतृत्व है, संयुक्त प्रगतिशीलता का सबूत
है।। हाल ही में अमेरिकी नेता बाॅबी जिंदल ने एक अफसोसजनक बयान दिया है
जिसे भारतीय समाचारपत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। वह यह कि वे
खुद को अमेरिकी नेता कहे जाने का ही समर्थक हैं; उन्हें भारतवंशी-अमेरिकी
कहलाना पसंद नहीं है। पश्चिमी ज्ञान-तबेले और सूचना-संदेशों को हमेशा
वरीयता देने वाले भारत के नामचीन किन्तु व्यक्तित्वहीन अख़बारों को खुद भारतीय अख़बार कहलाने में
कहां गर्व और गौरव महसूस होता है। सो यह बात बस आई-गई हो गई। खैर!
हम भारतीय अमेरिका को हमेशा एक अलग निगाह से देखते हैं। उसका सर्वशक्तिमान चेहरा हमें बेहद लुभाता है और यह सम्मोहन हमें मोहग्रस्त भी बनाए रखता है। ऐसे में हम प्रायः ग्लोबल लीडरशीप की बात करते हैं जिसमें भारतीयों का झंडा बुलंद रहा है और पूरी दुनिया भारतीय योग्यता और काबिलियत का लोहा मानती है, उसकी मुरीद दिखाई देती है। ऐसे में बाॅबी जिंदल का बयान अजीबोगरीब लगना स्वाभाविक है। कोई व्यक्ति यदि उपयुक्त मौके की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाए और उसी दुनिया में पूरी तरह रच-बस जाए, तो भी क्या उसके ‘गुणसूत्र’(क्रोमोसोम) बदल जाएंगे? क्या उसकी आनुवंशिकी में पूर्णतया अन्तर आ जाएगा या कि उनका सामूहिक अचेतन पूरी तरह स्मृतिभ्रशंता का शिकार हो जाएगी? ये ऐसे सवाल हैं जिससे जिरह हर उस भारतीय को करना चाहिए जो मौके की तलाश में दूसरी जगह जाता जरूर है; लेकिन वह अपने जड़ से कटा हुआ नहीं है। वैसे भी अमेरिका आज जिस रूप में सर्वशक्तिमान के ओहदे पर काबिज है, उस अमेरिका को बनाने में भारत का योगदान शब्दों और भाषा में बयान से परे है।
आइए हम अपनी इस बात को तर्क और वस्तृनिष्ठ समझ के आधार पर खंगाले, विश्लेषित करें और अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचें :-
हम भारतीय अमेरिका को हमेशा एक अलग निगाह से देखते हैं। उसका सर्वशक्तिमान चेहरा हमें बेहद लुभाता है और यह सम्मोहन हमें मोहग्रस्त भी बनाए रखता है। ऐसे में हम प्रायः ग्लोबल लीडरशीप की बात करते हैं जिसमें भारतीयों का झंडा बुलंद रहा है और पूरी दुनिया भारतीय योग्यता और काबिलियत का लोहा मानती है, उसकी मुरीद दिखाई देती है। ऐसे में बाॅबी जिंदल का बयान अजीबोगरीब लगना स्वाभाविक है। कोई व्यक्ति यदि उपयुक्त मौके की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाए और उसी दुनिया में पूरी तरह रच-बस जाए, तो भी क्या उसके ‘गुणसूत्र’(क्रोमोसोम) बदल जाएंगे? क्या उसकी आनुवंशिकी में पूर्णतया अन्तर आ जाएगा या कि उनका सामूहिक अचेतन पूरी तरह स्मृतिभ्रशंता का शिकार हो जाएगी? ये ऐसे सवाल हैं जिससे जिरह हर उस भारतीय को करना चाहिए जो मौके की तलाश में दूसरी जगह जाता जरूर है; लेकिन वह अपने जड़ से कटा हुआ नहीं है। वैसे भी अमेरिका आज जिस रूप में सर्वशक्तिमान के ओहदे पर काबिज है, उस अमेरिका को बनाने में भारत का योगदान शब्दों और भाषा में बयान से परे है।
आइए हम अपनी इस बात को तर्क और वस्तृनिष्ठ समझ के आधार पर खंगाले, विश्लेषित करें और अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचें :-
भारत
की इस ‘लीडरशीप’ की चर्चा करते हुए अन्तरराष्ट्रीय पहचान की पत्रिका
‘टाइम’ ने यह घोषणा तक कर डाला है कि आने वाले दिनों में दुनिया भर की
कंपनियों को सीईओ निर्यात करने के मामले में भारत सबसे अव्वल होगा। इतना ही
नहीं, ‘टाइम’ के मुताबिक भारत दुनिया भर के सीईओ के लिए सबसे बेहतरीन
प्रशिक्षण केन्द्र भी होगा। यह सही है कि दुनिया भर की बहुराष्ट्रीय
कंपनियां भारत को अपने बड़े बाज़ार के तौर पर देख रही है; लिहाजा वे भारतीय
उपभोक्ताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए भारतीय चेहरों को मौका दे रही
हैं; लेकिन उससे बड़ी वजह यह है कि भारतीय अपनी काबिलियत से कंपनियों के
शीर्ष पदों पर काबिज़ हो रहे हैं। अन्तरराष्ट्रीय मानव संसाधन विशेषज्ञों का
मानना है कि-‘‘भारतीय मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी काम करना
नहीं छोड़ते हैं। वे हर हाल में परिणाम देने की कोशिश करते हैं, इसके लिए
उन्हें जितनी भी मेहनत करना पड़े, उससे वे पीछे नहीं हटते।’’*
- अमत्र्य सेन: विदेशों में रहकर भारत का नाम दुनिया में जिन्होंने सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित किया है, वह हैं 1998 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार(वेलफेयर इकोनाॅमिक्स) पाने वाले अमत्र्य सेन। सन् 1999 में अमत्र्य सेन भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से नवाजे गए हैं। दिल्ली स्कूल आॅफ इकोनाॅमिक्स से लेकर आॅक्सफोर्ड, हार्वड, कैंब्रिज, कारनेल, स्टैनफोर्ड आदि विश्वविद्यालयों, एमआईटी तथा ट्रिनिटी काॅलेज में रहे सेन न केवल दुनिया के मषहूर अर्थशास्त्री हैं बल्कि आर्थिक सामाजिक विषयों पर गहरी चोट करने वाले विद्वान भी हैं। उनका साहित्य, इतिहास आदि विषयों का भी गहरा अध्ययन है। 80 वर्ष की उम्र के करीब पहुँच रहे सेन दुनिया के कुछ बहुत अच्छे और प्रखर तथा विचारोत्तेजक वक्ताओं में हैं और आज भी उनकी बौद्धिक सक्रियता में किसी प्रकार की कमी नहीं आई है।
- मनोज भार्गव: फोब्र्स पत्रिका के मुताबिक मनोज चार अरब डाॅलर की संपत्ति के साथ अमेरिका के सबसे दौलतमंद भारतीय हैं। सन् 2011 में उन्हें ‘न्यूज़ मेकर आॅफ द इयर’ का अवार्ड मिला था।
ओबामा टीम : जिन्होंने कभी अपनी काबिलियत पर हर मान-सम्मान पाया
- अमत्र्य सेन: विदेशों में रहकर भारत का नाम दुनिया में जिन्होंने सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित किया है, वह हैं 1998 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार(वेलफेयर इकोनाॅमिक्स) पाने वाले अमत्र्य सेन। सन् 1999 में अमत्र्य सेन भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से नवाजे गए हैं। दिल्ली स्कूल आॅफ इकोनाॅमिक्स से लेकर आॅक्सफोर्ड, हार्वड, कैंब्रिज, कारनेल, स्टैनफोर्ड आदि विश्वविद्यालयों, एमआईटी तथा ट्रिनिटी काॅलेज में रहे सेन न केवल दुनिया के मषहूर अर्थशास्त्री हैं बल्कि आर्थिक सामाजिक विषयों पर गहरी चोट करने वाले विद्वान भी हैं। उनका साहित्य, इतिहास आदि विषयों का भी गहरा अध्ययन है। 80 वर्ष की उम्र के करीब पहुँच रहे सेन दुनिया के कुछ बहुत अच्छे और प्रखर तथा विचारोत्तेजक वक्ताओं में हैं और आज भी उनकी बौद्धिक सक्रियता में किसी प्रकार की कमी नहीं आई है।
- मनोज भार्गव: फोब्र्स पत्रिका के मुताबिक मनोज चार अरब डाॅलर की संपत्ति के साथ अमेरिका के सबसे दौलतमंद भारतीय हैं। सन् 2011 में उन्हें ‘न्यूज़ मेकर आॅफ द इयर’ का अवार्ड मिला था।
ओबामा टीम : जिन्होंने कभी अपनी काबिलियत पर हर मान-सम्मान पाया
§ पाउला गंगोपाध्याय
§ सोनी रामास्वामी
§ अनुज चेंग देसाई
§ सोनल शाह
§ फराह पंडित
§ अंजु भार्गव
§ राजन आनंद
§ निशा देसाई बिस्वाल
§ दीपा गुप्ता
§ अरुणाभ जोशी
§ प्रीत भरारा
§ राजीव शाह
§ अजीत वरदराज पई
§ गीता पासी
§ राजेश डे
§ विवेक मूर्ति
§ इस्लामिक सिद्दिकी
§ रो खन्ना
§ प्रीता बंसल
§ कल्पेन सुरेश मोदी(काल पेन)
§ नील कात्याल
§ सोनी रामास्वामी
§ अनुज चेंग देसाई
§ सोनल शाह
§ फराह पंडित
§ अंजु भार्गव
§ राजन आनंद
§ निशा देसाई बिस्वाल
§ दीपा गुप्ता
§ अरुणाभ जोशी
§ प्रीत भरारा
§ राजीव शाह
§ अजीत वरदराज पई
§ गीता पासी
§ राजेश डे
§ विवेक मूर्ति
§ इस्लामिक सिद्दिकी
§ रो खन्ना
§ प्रीता बंसल
§ कल्पेन सुरेश मोदी(काल पेन)
§ नील कात्याल
हकीकत यही है कि दुनिया भर की कई कंपनियों ने पिछले कुछ सालों में भारतीयों को अपनी कमान देनी शुरू की है। यह कई मायनों में भारतीय प्रतिभाओं को विष्व स्तर पर सम्मान से जुड़ा मसला है। दुनिया के हर कोने में अब भारतीय प्रतिभाओं पर न केवल भरोसा किया जा रहा है बल्कि उसे ‘लीडर’ के तौर पर देखने की शुरुआत भी हो चुकी है।
उदाहरणार्थ :जो भारतवंशी अमेरिका को ‘मेड इन अमेरिका’ बनाते हैं
§ रजत गुप्ता संस्थापक: इंडियन स्कूल आॅफ बिजनेस, हैदराबाद(1997)
§ अंशु जैन सह-सीईओ: ड्यूशे बैंक
§ हरीश मानवानी चीफ आॅपरेटिंग आॅफिसर: यूनीलीवर
§ मानविंदर सिंह बग्गा सीईओ: मास्टर कार्ड
§ इंदिरा नूई सीईओ ः पेप्सीको
§ विक्रम पंडित सीईओ: सिटी बैंक ग्रुप
§ राकेश कपूर सीईओ: रेकिट ऐंड बेंसिकजर
§ संजय झा सीईओ: मोटरोला
§ अजीत जैन सीईओ: हाथवे
§ शांतनु नारायण सीईओ: एडोब
§ पद्मश्री वारियर मुख्य तकनीकी अधिकारी: सिस्को
§ संजय खोसला मार्केटिंग हेड: क्राफ्ट फूड्स
§ नरेश अरोरा मुख्य विपणन अधिकारी: गूगल
§ व्योमेश जोशी एक्जक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट: एचपी
§ अरुण सरीन सीईओ: वोडाफोन
§ रश्मि सिन्हा सीईओ: स्लाइड शेयर
- चर्चित भारतवंशी एवं वैश्विक छवि के लीडर/रोल-माॅडल:
§ बाॅबी जिंदल ः लुइजियाना प्रांत के गवर्नर कम उम्र में बने
§ नवीन रामगुलाम ः माॅरिशस के प्रधानमंत्री
§ स्व. कल्पना चावला ः नासा से जुड़ी अंतरिक्ष यात्री
§ सुनीता विलियम्स ः लम्बे दिनों(195 दिन) तक अंतरीक्ष प्रवास
§ अमिताव घोष ः लोकप्रिय लेखक
§ झुंपा लाहिड़ी ः इंटरप्रेटर आॅफ मेलाॅडीज, ‘नेमसेक’, 'अनकस्टम्ड अर्थ’, 2000 में पुलित्जर।
§ सलमान रुश्दी ः ‘मिडनाइट चिल्ड्रेन’ के लिए 1981 में बुकर पुरस्कार, ‘सैटनिक वर्सेज’, 1988 ।
§ नीरद सी. चैधरी ः लेखक, उपन्यासकार
§ अनीता देसाई ः लेखक, उपन्यासकार
§ किरण देसाई ः लेखक, उपन्यासकार
§ वी. एस. नायपाॅल ः लेखक, उपन्यासकार, चिंतक
§ जगदीश भगवती ः अर्थशास्त्री, कोलंबिया विश्ववविद्यालय में प्रोफेसर
§ फरीद जकारिया ः ख्यातनाम पत्रकार
§ टंूकू वरदराजन ः ‘न्यूजवीक’ के सम्पादक पद संभाल चुके हैं।
§ राजू नारसेस्ट्री ‘ ‘वांशिगटन पोस्ट’ के सम्पादक पद संभाल चुके हैं।
§ पीको अय्यर ः ट्रैवल राइटर
§ मीरा नायर ः फिल्म निर्देशिका: सलाम बाॅम्बे, माॅनसून वेडिंग, नेमसेक, हार्वर्ड में शिक्षा-दीक्षा
§ नवीन रामगुलाम ः माॅरिशस के प्रधानमंत्री
§ स्व. कल्पना चावला ः नासा से जुड़ी अंतरिक्ष यात्री
§ सुनीता विलियम्स ः लम्बे दिनों(195 दिन) तक अंतरीक्ष प्रवास
§ अमिताव घोष ः लोकप्रिय लेखक
§ झुंपा लाहिड़ी ः इंटरप्रेटर आॅफ मेलाॅडीज, ‘नेमसेक’, 'अनकस्टम्ड अर्थ’, 2000 में पुलित्जर।
§ सलमान रुश्दी ः ‘मिडनाइट चिल्ड्रेन’ के लिए 1981 में बुकर पुरस्कार, ‘सैटनिक वर्सेज’, 1988 ।
§ नीरद सी. चैधरी ः लेखक, उपन्यासकार
§ अनीता देसाई ः लेखक, उपन्यासकार
§ किरण देसाई ः लेखक, उपन्यासकार
§ वी. एस. नायपाॅल ः लेखक, उपन्यासकार, चिंतक
§ जगदीश भगवती ः अर्थशास्त्री, कोलंबिया विश्ववविद्यालय में प्रोफेसर
§ फरीद जकारिया ः ख्यातनाम पत्रकार
§ टंूकू वरदराजन ः ‘न्यूजवीक’ के सम्पादक पद संभाल चुके हैं।
§ राजू नारसेस्ट्री ‘ ‘वांशिगटन पोस्ट’ के सम्पादक पद संभाल चुके हैं।
§ पीको अय्यर ः ट्रैवल राइटर
§ मीरा नायर ः फिल्म निर्देशिका: सलाम बाॅम्बे, माॅनसून वेडिंग, नेमसेक, हार्वर्ड में शिक्षा-दीक्षा
§ गुरिंदर चड्ढा ः ‘बेंड इट लाइक बेखम’ की निर्देशिका
§ मनोज नाइट श्यामलन ः निर्देशक, लेखक, एक्टर
§ शीतल सेठ ः अभिनेत्री
§ आरती मजूमदार ः अभिनेत्री
§ लिजा रे ः अभिनेत्री
§ पद्मा लक्ष्मी ः अभिनेत्री
§ नोरा जोन्स ः अभिनेत्री
§ सुधीर पारेख ः चिकित्सक
§ बाल मुरली अंबाति ः चिकित्सक
§ सिद्धार्थ मुखर्जी ः कैंसर फिजिशियन, अपनी कैंसर पर लिखे गए पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित
§ अरुणा नेत्रवली ः वैज्ञानिक, बेल लेबोरेटरीज के प्रमुख
§ भीखू पारेख ः राजनीतिक विचारक तथा ब्रिटेन के हाउस आॅफ लाडर््स के सदस्य
§ चित्तरंजन राणावत ः प्रसिद्ध हड्डी रोड विशेषज्ञ
§ दीपक चोपड़ा ः लेखक, डाॅक्टर, लोकप्रिय वक्ता
§ हिंदूजा भाई ः उद्योगपति
§ लक्ष्मी मित्तल ः उद्योगपति
§ मधुर जाफरी ः अभिनेत्री तथा खानपान विषयक लेखिका
§ सईद जाफरी ः अभिनेता
§ रोहिंटन मिस्त्री ः अंग्रेजी उपन्यासकार
§ सैम पित्रोदा ः नीति निर्माता
§ विक्रम सेठ ः अंग्रेजी उपन्यासकार एवं कवि
§ लार्ड स्वराज पाॅल ः उद्योगपति तथा लार्ड सभा के सदस्य
§ प्रवाल गुरुंग ः ड्रेस डिजाइनर
§ विकास खन्ना ः मास्टर शेफ
§ संत सिंह चटवाल ः होटल व्यवसायी
§ मनोज नाइट श्यामलन ः निर्देशक, लेखक, एक्टर
§ शीतल सेठ ः अभिनेत्री
§ आरती मजूमदार ः अभिनेत्री
§ लिजा रे ः अभिनेत्री
§ पद्मा लक्ष्मी ः अभिनेत्री
§ नोरा जोन्स ः अभिनेत्री
§ सुधीर पारेख ः चिकित्सक
§ बाल मुरली अंबाति ः चिकित्सक
§ सिद्धार्थ मुखर्जी ः कैंसर फिजिशियन, अपनी कैंसर पर लिखे गए पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित
§ अरुणा नेत्रवली ः वैज्ञानिक, बेल लेबोरेटरीज के प्रमुख
§ भीखू पारेख ः राजनीतिक विचारक तथा ब्रिटेन के हाउस आॅफ लाडर््स के सदस्य
§ चित्तरंजन राणावत ः प्रसिद्ध हड्डी रोड विशेषज्ञ
§ दीपक चोपड़ा ः लेखक, डाॅक्टर, लोकप्रिय वक्ता
§ हिंदूजा भाई ः उद्योगपति
§ लक्ष्मी मित्तल ः उद्योगपति
§ मधुर जाफरी ः अभिनेत्री तथा खानपान विषयक लेखिका
§ सईद जाफरी ः अभिनेता
§ रोहिंटन मिस्त्री ः अंग्रेजी उपन्यासकार
§ सैम पित्रोदा ः नीति निर्माता
§ विक्रम सेठ ः अंग्रेजी उपन्यासकार एवं कवि
§ लार्ड स्वराज पाॅल ः उद्योगपति तथा लार्ड सभा के सदस्य
§ प्रवाल गुरुंग ः ड्रेस डिजाइनर
§ विकास खन्ना ः मास्टर शेफ
§ संत सिंह चटवाल ः होटल व्यवसायी
§ बिद्दू : पाॅप गृरू के नाम से मशहूर
---------------* शुक्रवार; 06 जुलाई, 2012; पृ. 14
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