Tuesday, January 20, 2015

गांव का तापमान

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बेचन भूख से बिलबिला रहा था। उसका शराबी बाप सौदा देर से लाया था। उस पर माया यह कि जलावन की लकड़ी ओदा थीं; लालती जल्दी बनाने को मरे जा रही थी।

11 वर्षीय बेचन का बाप जो दिन भर ताश खेलकर अभी आया था। पता नहीं कहां से उसे अपने बिटवा पर माया छछा गया। वह सीधे चुहानी में घूसा और लालती पर बरस पड़ा। लालती अभी आंचल भी न सम्हाल पाई थी कि उसके उपर बजर की तरह दो-तीन लात बरस पड़ें। वह कूंकिया के रह गई। बेचन का बाप भद्दी गालियां देता रहा।

सुबह लालती उठी, तो पूरा शरीर बथ रहा था। लेकिन वह पूरे मौज से उठी और 14 किलोमीटर पैदल चलकर थाने पहुंची। बेचन के पिता के खिलाफ रिपोर्ट लिखाया। पुलिस आई और उसे पकड़कर ले गई।

पूरा गांव उस पर थू-थू कर रहा था। लेकिन यह क्या जिस गांव में औरते पल्लू के नीचे से नहीं बोलती थी। आज वो अपना साड़ी कमर में खोंसे हुए और सीधी नज़र मिलाकर अपने मर्दों को बेचन की माई के ख़िलाफ एक शब्द न बोलने की चेतावनी दे रही थीं।

दरअसल, गांव का तापमान बदल रहा था; और यह बदलाव एक दृष्टि से बेहद जरूरी भी था।

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

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