Sunday, May 25, 2014

लिखी चिट्ठी बहुत दिनों के बाद


प्रिय देव-दीप,

रायसीना हिल्स जहाँ कि राष्ट्रपति भवन स्थित है; सवेरा करवट ले रहा है। गोधुलि की बेरा में नरेन्द्र मोदी वहाँ करीब शाम 6 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। ख़बर है, चैकसी ऐसी कि परिन्दा भी पर नहीं मार सकता। फिर आम-आदमी की क्या बिसात। हम भारतीय जन ऐसे प्रोटोकाॅल के आदी हंै...यह सरकार भी फिलहाल उसी नक़्शेकदम पर जाती दिख रही है-वी.आई.पी./वी.वी.आई.पी.। टीवी के कहे को हक़ीकत मानूँ, तो 6000 भारतीय ज़वानों की तैनाती आज की तारीख़ में की गई है। एयर डिफेंस सिस्टम की चाक-चैबन्द व्यवस्था है सो अलग। इस मौके पर 4000 मेहमानों के पधारने की सूचना प्रसारित की जा रही है; 60 देशों में न्योता भेजे जाने का जिक्र भी इन ख़बरों में शामिल है। टीवी वाले यह बताते नहीं थक रहे हैं कि आज से नये युग की शुरूआत हो रही है। शीर्षक टेलीविज़न स्क्रीन पर चमक रहा है-‘शुरू होगा इंडिया का नया इतिहास’, ‘अब इंडिया का होगा मोदीफिकेशन’, अब नए रोडमैप पर इंडिया आदि-आदि। इसमें ‘भारत’ शब्द कहीं नहीं है, क्योंकि भारत में हम जैसे सोच वाले लोग रहते हैं जो देखने-दिखाने से ज्यादा ज़मीनी काम करने और करवाने में विश्वास करते हैं।

देव-दीप, मोदी की ताजपोशी वाली इन ख़बरों में थिरकन है। वे टेलीविज़न स्क्रीन पर देशभर में लोगों को मोदी के लिए दुआयें माँगते दिखा रहे हैं। वे यह भी बता रहे हैं कि ‘सुपर पीएम’ की ‘सुपर टीम’ कैसी होगी। वे रेडकोर्स 7, आर.सी.आर जहाँ प्रधानमंत्री निवास अवस्थित है; में कैसे विराजेंगे? इस बारे में भी चर्चा छेड़ रखी है। कुल जमा निष्कर्ष यह है कि टेलीविज़न वालों ने ‘राज्याभिषेक’ शीर्षक से महापथ का महाकवरेज दिखाने को और मोदी की ताजपोशी सम्बन्धी ख़बर को पल-पल अपडेट करने को ही अपना सबसे बड़ा ‘लोकधर्म’ मान लिया है। नई सरकार के सामने पहाड़ सरीखी खड़ी चुनौतियों को वे बिसार चुके हैं जिनसे सामना प्रधानमंत्री बनते नरेन्द्र मोदी को करनी पड़ेगी। खैर!

इस घड़ी मीडिया दिखा रही है कि बनारस के गंगाघाट से दिल्ली के गुजरात भवन पहुँचे मोदी किस तरह सुबह 7 बजे राजघाट पहुँचे और वहाँ बापू की समाधिस्थल पर पुष्पगुच्छ अर्पित कर प्रार्थना किया। उसके बाद वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने किस तरह से गये। उसके बाद उनके गुजरात भवन में नामचीन मंत्रियों का आना-जाना कैसे शुरू हुआ है। मंत्रीमण्डल छोटी होगी इस बारे में अन्दरखाने में राय-विमर्श हो रही है। मोदी जी ने ‘मीनिमम गर्वमेंट, मैक्सिमम गवर्नेस’ का अपना फार्मुला पहले से साध रखा है। कई बार पूँछ बाद में लम्बी होती जाती है, फिलहाल सभी का ध्यान गरदन पर फोकस है। दरअसल, मंत्रीमण्डल विभिन्न वैयक्तिक-शक्तियों का आपसी मिलाप होता है। इस मिलाप से संगठन को बल मिलता है। काम-काज को बाँट देने से हमारी योग्यता बढ़ती है। इसके अतिरिक्त एक-दूसरे को शक्ति-पद देकर हम अपनी निरंकुशता अथवा तानाशाही पर भी हरसंभव लोकतांत्रिक नियंत्रण स्थापित कर लेते हैं।

देव-दीप, भावी प्रधानमंत्री ने ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ का संकल्प दुहाराया है। संकल्प-विकल्प की भावना से कटिबद्ध व्यक्ति ही सच्चे अर्थों में मानुष होता है। यों तो ऐसे नारे और मुहावरे अन्य पार्टियाँ ने भी थोकभाव गढ़ा है, लेकिन वे अधिकतर शिगूफा ही साबित हुई हैं। जबकि मोदी सरकार ने जनता से वादा किया है कि उनकी सरकार निठल्लू नहीं होगी; भाट-चारणों की महाफौज नहीं होगी; जातिदारों बिरादरीवालों के हिसाब से चलने वाली भाई-भतीजावादी सरकार नहीं होगी। यह सरकार पुरानी इन सभी दोषपूर्ण रवायतों का समूल नाश करेगी।  अभी तक बनी सरकारें इन्हीं सब को बढ़ावा देती रही हैं। सुन रहा हूँ कि अब अन्धेरे ने पाला बदला है। नरेन्द्र मोदी सही संकल्प और सार्थक विकल्प लेकर आये हैं।

देव-दीप, यह सब टेलीविज़न पर ‘लाइव’ देखते हुए मेरा मन भी हर्षित-उल्लासित हो उठा है। मीडियावी ख़बरों में बड़बोलेपन ज्यादा है। यह सीधे नरेन्द्र मोदी का महिमामण्डन है। जो कमजोर होता है, वह आतुर कंठ से प्रशंसा उलीचता है। नरेन्द्र मोदी ज़मीनी नेता हैं; उन्हें माध्यमों की हैसियत-हक़ीकत पता है। वे जल्द ही इन कारगुज़ारियों पर अंकुश लगायेंगे। फिलहाल उन्हे गाने दीजिए। आज हर जरूरतमंद आँख इस आस-उम्मीद में है कि उनकी तकलीफ़ को बूझने वाला कोई अपना आदमी मिले; देश की शोषित पीड़ित जनता अपने हक़-हकूक को हासिल करने के लिए फिक्रमंद है; वैसे लोग जो सरकारी आँकड़ों में महज़ गिनती की संख्या मात्र बनकर रह गये हैं, वे अब खुद को नई सरकार द्वारा आदमी माने जाने को लेकर आशान्वित हैं; यानी हमें तो अपनी थाली में अच्छे दिन आने का इंतजार है; अपने तन पर अच्छे कपड़े और दुशाले आने की उम्मीद है; हमारी हाँक और हीक हर योग्य और काबिल को उपयुक्त रोजगार मिलने का है; और मुझे, एक अध्यापक की नौकरी, ताकि तुमलोगों के निमित सुकूनपूर्वक इतना कर सकूँ कि तुम अपनी आँखों से अच्छे दिन देख सको और खुश हो सको। आमीन!

तुमहारा पिता
राजीव

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