Monday, May 2, 2011

सिर्फ 72 घंटे और, पापा!

श्रीकांत मनु


आपकी पहली और अंतिम चाहत
जिसके लिए रूकी हैं आपकी सांसे,
आपका लाडला आएगा, पापा!
और 72 घंटों के लिए
रोकनी होगी आपको अपनी सांसें
आपका लाडला आएगा, पापा!

एक बड़ी ‘डील’ करेगा कल
एक बड़ी कम्पनी के साथ
फिर निकल जाएगा, यहाँ के लिए
आपका लाडला आएगा, पापा!


हम सात बहने
सात सौ घंटों से
चिपकी हैं आपसे, पापा!
सभी आयी हैं
किसी न किसी को छोड़कर
कोई बेटे को, तो कोई बेटी को
कोई सास को, तो कोई ससुर को




मैं तो उसे छोड़कर आयी हँू
जिसके साथ जीना था
जीवन भर मुझको
चुनना था, किसी एक को
उनको या आपको।


72 घंटे बाद लाडला आएगा,
आप जाएँगे परलोक
बहने जाएँगी अपने-अपने लोक
पर कहाँ जाऊँगी मैं? पापा!
सातवीं अनचाही बेटी।

आज जब जरूरत थी खून की
तो मेरे खून को ही मिलना था,
शायद आपके खून से
इसीलिए डाॅक्टर ने तब कर दिया था मना
एबार्शन करने से
आॅपरेशन थियेटर में।
मेरे शरीर के खून की
अंतिम बूँद भी आपकी ही है, पापा!


वैसे तो आपके लाडले का भी
खून मिलता है आपसे
पर वह आज टोकियो पहुँचेगा
कल एक बड़ी ‘डील’ करेगा
परसों यहाँ के लिए चल देगा
आपका लाडला आएगा, पाना!
सिर्फ 72 घंटे और, पापा!





(श्रीकांत मनु के नाम से लोकप्रिय श्रीमन्ननारायण शुक्ल सम्प्रति राजकीय इन्टर गोविन्द उच्च विद्यालय, गढ़वा, झारखण्ड में शिक्षक-पद पर कार्यरत हैं। अपनी अंदरूनी संवेदनाओं को शब्दों में बड़ी सूक्ष्मता के साथ पिरो ले जाने वाले श्रीकांत मनु की अनेकों कविताएँ, कहानियाँ और विचारोत्तेजक आलेख कई ख्यातनाम पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।)

2 comments:

supariya kumari said...

putra puatra par ati atam vishwash or putri ko praya dhan smjhane ki priviriti pr kataksh karati yh kvita man ko bhai .

dipika priya said...

kash yah baat sabko samajh men aati khaskar pitao awan mataon ko.

हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...