Sunday, May 8, 2011

ये रिश्ता क्या कहलाता है...?

हम दो थीं
एक-दूजें पर मरने-कूटने वाली
लड़ने-झगड़ने वाली
आपस में अक्सर।

हम दो थीं
चाँद-सितारों की तरह
आसमान में उगने वाली
अल्हड़ और आप ही में मगन।


हम दो थीं
जिनके साथ घूमने-फिरने पर
नहीं थी कोई रोक-टोक
न ही कोई प्रतिबंध।

आज हम दोनों हैं
पर हम पर बंदिशे हजार
शहर से आए शब्दकोश में
क्या तो लिखा है
हम दोनों ‘लेस्बियन’ हैं!

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...