
का गुरु, मोटइबऽ कि अइसन के अइसन रहबऽ?
ल सुन एगो कविता जरका
लिखनी हईं टटका-टटका।
जिन्स कमर में आटे ना तोहरा
टी-शर्ट मारे झख।
कोट-पैन्ट के तऽ हाल न पूछऽ,
पहन लऽ त लाग बतख।
48 किलो वजन बाटे अउर
100 ग्राम बाऽ घलुआ।
पढ़े-लिखे में कलम-घसेटू
हँसेला जे पर कलुआ।
प्रथम श्रेणी में पास करिके
आज तक बाड़ऽ फिसड्डी।
नून-तेल के भाव का जानऽ तू,
घर बैइठल मिले गंजी-चड्डी।
छोड़ऽ बबुआ कलम-मास्टरी
अब करऽ जरका काम।
देह-दुबराई से ना देश सुधरी
चाहे बीती जीवन तमाम।
हा....हा....हा....ही....ही....ही....हू....हू....हू
हे......हे......हे......हो.........हौ.....हौ....हौ....!
No comments:
Post a Comment