
तू ठीक कहताड़ू कि इ सब तारीख विदेशिया प्यार जताव के हऽ. लेकिन हमार-तोहार कोई बात सुनी थोड़े. सब कोई शहरिया वेष धरि लेले बा. उहो आपन अर्जल थोड़े बा. दूसर दुनिया के चाल अउरि रंग-ढंग के नकल करि के हमनि के कबो मदर्स डे मनावतानि जा तऽ कबो फादर्स डे. सचो के मनवा-दिलवा में आदर लोगन के केतना बउये, तू हूं तऽ देख ताड़ू ना. जाये द छोड़. आज तू और कन्या मिली-बहुरि के खुशी-खुशी दिन बितइह जा. कवन बात के ले क तू-तू मैं-मैं ना. आज मदर्स-डे हऽ न! ऐ से हमहूं यहीजे से पैर छू के प्रणाम करऽ तानि.
3 comments:
कितनी प्यारी पोस्ट राजीव भैया .....सभी प्यारी प्यारी ममाओं को हैप्पी मदर्स डे
बहुत भावपूर्ण ....... आंचलिक भाषा यानि अपनी भाषा में कही बात बड़ी सुंदर बड़ी प्रभावी लगती है..... .......
aanchlik bhasa me likhi gayi ek behtarin abhivyakti......
padh kar achchha laga
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