Sunday, May 8, 2011

मम्मी हो आज ‘मदर्स डे’ हऽ

जानतानी खूब हसबँू तू. हँस लऽ, लेकिन सच कहतानि की आज के तारीख बउये तोहरे नाम. आज मदर्स डे हऽ. दुनिया भर के मम्मी लोगन के आज बच्चवन-बेटवन सब गिफ्ट दिहन जा. हऽ ठीक कहताडू तोहार कन्यो के मिली गिफ्ट. लेकिन ओनि के तऽ अभी नबोज बाड़सन. अधिक से अधिक बिस्कुट आ चाकलेट खिया दिहसन उनका के. और हम...? हाँ, हम तोहरा खातिर कवन गिफ्ट ले सकिला ई तऽ सोचे के पडि़ न हो.
तू ठीक कहताड़ू कि इ सब तारीख विदेशिया प्यार जताव के हऽ. लेकिन हमार-तोहार कोई बात सुनी थोड़े. सब कोई शहरिया वेष धरि लेले बा. उहो आपन अर्जल थोड़े बा. दूसर दुनिया के चाल अउरि रंग-ढंग के नकल करि के हमनि के कबो मदर्स डे मनावतानि जा तऽ कबो फादर्स डे. सचो के मनवा-दिलवा में आदर लोगन के केतना बउये, तू हूं तऽ देख ताड़ू ना. जाये द छोड़. आज तू और कन्या मिली-बहुरि के खुशी-खुशी दिन बितइह जा. कवन बात के ले क तू-तू मैं-मैं ना. आज मदर्स-डे हऽ न! ऐ से हमहूं यहीजे से पैर छू के प्रणाम करऽ तानि.

3 comments:

Chaitanyaa Sharma said...

कितनी प्यारी पोस्ट राजीव भैया .....सभी प्यारी प्यारी ममाओं को हैप्पी मदर्स डे

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत भावपूर्ण ....... आंचलिक भाषा यानि अपनी भाषा में कही बात बड़ी सुंदर बड़ी प्रभावी लगती है..... .......

chandrasen said...

aanchlik bhasa me likhi gayi ek behtarin abhivyakti......
padh kar achchha laga

हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...