Tuesday, May 10, 2011

बाल सजग

ए लइकन लोग बढि़या प्रयास करऽताड़जा हो. तोहन जानि के मनवा में आपन देसवा के लेके अभिए से एतना फिकिर बा, इ देखि के मन जुड़ाइ गइल. करीब दू महीना के हमहू छुट्टी पर बानि. ए से तोहन जाना के लिखल हम देखत रहब खलिहल में. हमरा तरफ से मन से निक और अंदर से ठीक बनऽजा. आज देसवा के हमनि के इहे के जरूरत बा हो.

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...