Saturday, May 21, 2011

ओम और कमला

1 comment:

Sunil Deepak said...

राजीव रंजन जी, ओम और कमला चिट्ठे को आप ने पढ़ा, टिप्पणी लिखी, बहुत अच्छा लगा. धन्यवाद

हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...