Tuesday, May 10, 2011

ख़बर के नक्शे पर भट्टा पारसौल

ब्लाॅग ‘इस बार’ ने कलम चलानी चाही, तो
एक शुभचिन्तक मित्र ने कहा कि यह ख़बर लिखने के लिए
लिखना है या फिर सोचने के लिए. मैं सोचने लगा.
चिन्तन अभी तक जारी है...!

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हँसों, हँसो, जल्दी हँसो!

--- (मैं एक लिक्खाड़ आदमी हूँ, मेरी बात में आने से पहले अपनी विवेक-बुद्धि का प्रयोग अवश्य कर लें!-राजीव) एक अध्यापक हूँ। श्रम शब्द पर वि...